बड़ी खबरें
हर साल 19 अप्रैल को वर्ल्ड लिवर डे मनाया जाता है, ताकि लोगों में लिवर से जुड़ी बीमारियों को लेकर जागरूकता फैलाई जा सके। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके बढ़ते वजन, मीठा और तला-भुना खाना, और बैठे-बैठे बीतता दिन लिवर को धीमे ज़हर की तरह नुकसान पहुंचा सकता है? मोटापा, डायबिटीज और फैटी लिवर-ये तीनों बीमारियां भले ही अलग-अलग लगें, लेकिन ये एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई हैं। दरअसल, मोटापा केवल शरीर की बनावट को नहीं बदलता, बल्कि यह एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है, जो अंदर ही अंदर पूरे सिस्टम को बिगाड़ देता है।
कैसे बनता है ये 'विकट चक्र'?
जब हम जरूरत से ज्यादा खाते हैं — खासकर जंक फूड, तले-भुने स्नैक्स, और मीठी चीजें — और साथ में शरीर को हिलाने-डुलाने से कतराते हैं, तो शरीर में फैट जमा होने लगता है। यह फैट न केवल पेट और कमर के आसपास दिखता है, बल्कि शरीर के अंदरूनी अंगों, जैसे कि लिवर, पर भी असर डालता है। यही जमा हुआ फैट, इंफ्लेमेशन (सूजन) और हॉर्मोनल असंतुलन की वजह बनता है।
लिवर जब ज्यादा फैट जमा करता है, तो उसे फैटी लिवर कहा जाता है। यह दो तरह का होता है:
Alcoholic Fatty Liver – जो शराब पीने वालों में ज्यादा पाया जाता है।
Non-Alcoholic Fatty Liver Disease (NAFLD) – जो आजकल सामान्य लोगों में तेजी से बढ़ रहा है, खासकर मोटापे और खराब जीवनशैली के कारण।
NAFLD की वजह से शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ जाती है — यानी शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन पर सही से प्रतिक्रिया नहीं करतीं। यही कारण है कि फैटी लिवर के साथ टाइप-2 डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है।
फैटी लिवर और डायबिटीज: एक-दूसरे को बढ़ावा देने वाला रिश्ता
अगर किसी को फैटी लिवर है, तो आने वाले 10-15 सालों में उसे डायबिटीज होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। और अगर पहले से ही डायबिटीज है, तो लिवर में फैट जमा होने की रफ्तार और तेज हो जाती है। ये एक विकट चक्र (vicious cycle) बन जाता है:
फैट बढ़ा → लिवर खराब हुआ → इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ी → डायबिटीज बढ़ी → और फिर लिवर और खराब।
तो क्या है इससे बचाव का रास्ता?
इस वर्ल्ड लिवर डे पर आइए कुछ आसान लेकिन असरदार हेल्थ टिप्स को अपनाकर अपनी सेहत को बेहतर बनाएं:
• ताजे फल, हरी सब्जियां, दालें और साबुत अनाज को डाइट में शामिल करें।
• शुगर, तेल, प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड से दूरी बनाएं।
• हर दिन कम से कम 30 मिनट की वॉक या योगा ज़रूरी है।
• डांस या हल्की-फुल्की कसरत भी कारगर हो सकती है।
• वजन घटाने से फैटी लिवर और डायबिटीज दोनों का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।
• ये दोनों आदतें लिवर और मेटाबॉलिक हेल्थ के लिए बेहद हानिकारक हैं।
• समय-समय पर ब्लड शुगर और लिवर फंक्शन टेस्ट करवाना बेहद जरूरी है।
लिवर बोले नहीं, लेकिन समझदार बनकर हमें उसकी सुननी चाहिए
आपका लिवर चुपचाप काम करता है, लेकिन जब तकलीफ शुरू होती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इस वर्ल्ड लिवर डे पर आइए एक वादा करें — कि हम अपनी सेहत को नज़रअंदाज़ नहीं करेंगे। आज का छोटा कदम, कल एक लंबी और स्वस्थ ज़िंदगी की नींव बन सकता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 19 April, 2025, 6:04 pm
Author Info : Baten UP Ki