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क्या बांके बिहारी मंदिर अब कोर्ट चलाएगा? सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से मचा हड़कंप!

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बांके बिहारी मंदिर के प्रशासन को लेकर चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा संकेत दिया है। अदालत ने कहा है कि वह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अध्यादेश के माध्यम से गठित प्रबंधन समिति को निलंबित करने का आदेश जल्द ही पारित करेगा। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि वह मंदिर प्रबंधन के लिए एक नई समिति गठित करेगा, जिसकी अध्यक्षता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश करेंगे।

क्या है मामला?

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में ‘श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश’ के माध्यम से मंदिर प्रबंधन के लिए एक नई समिति का गठन किया था। इस समिति के गठन को लेकर मंदिर के पारंपरिक संरक्षक गोस्वामी समुदाय और कुछ अन्य हितधारकों ने आपत्ति जताई थी। उनका तर्क था कि यह अध्यादेश मंदिर की पारंपरिक व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप है।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा:

“हम उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश से गठित समिति को फिलहाल निलंबित करने का आदेश पारित करेंगे। और एक नई समिति का गठन किया जाएगा, जो न्यायिक निगरानी में काम करेगी।”

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को लेकर याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय का रुख करें। जब तक हाईकोर्ट इस पर अंतिम फैसला नहीं देता, तब तक अध्यादेश से गठित समिति प्रभावी नहीं रहेगी।

कैसी होगी नई समिति?

कोर्ट द्वारा गठित की जाने वाली समिति में शामिल होंगे:

  • एक पूर्व उच्च न्यायालय न्यायाधीश (अध्यक्ष के रूप में)

  • राज्य सरकार के प्रशासनिक अधिकारी

  • मंदिर के पारंपरिक गोस्वामी प्रतिनिधि

इस समिति का कार्य मंदिर के दैनिक संचालन, भीड़ नियंत्रण, दान प्रबंधन, और त्योहारों की व्यवस्था को पारदर्शी व संतुलित बनाए रखना होगा।

क्यों है ये मामला अहम?

  • बांके बिहारी मंदिर वृंदावन का एक अत्यंत प्राचीन और श्रद्धेय मंदिर है।

  • हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, जिससे मंदिर का प्रबंधन जटिल बनता जा रहा है।

  • पिछली भीड़भाड़ की घटनाओं में कुछ श्रद्धालुओं की मृत्यु हो चुकी है, जिसके बाद प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग तेज़ हुई थी।

अब आगे क्या?

  • सुप्रीम कोर्ट की ओर से आदेश जल्द ही पारित किया जाएगा।

  • हाईकोर्ट में अध्यादेश की वैधता पर बहस जारी रहेगी।

  • नई समिति के गठन के बाद मंदिर प्रशासन एक नए ढांचे के तहत संचालित होगा।

यह मामला भारत में धार्मिक संस्थानों के प्रशासन, संविधान के अनुच्छेद 25-28 (धार्मिक स्वतंत्रता), और राज्य हस्तक्षेप की सीमा जैसे महत्वपूर्ण विषयों से जुड़ा है। आने वाले महीनों में यह एक महत्वपूर्ण केस स्टडी बन सकता है।

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