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अब यूपी पुलिस में होगा 'सीबीआई स्टाइल' सिस्टम! जानिए कितने सख्त हैं ये नए नियम

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उत्तर प्रदेश पुलिस अब गिरफ्तारी और तलाशी की प्रक्रिया में पहले से कहीं अधिक पारदर्शी और जवाबदेह नजर आएगी। डीजीपी राजीव कृष्ण ने सोमवार को एक विस्तृत परिपत्र जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में सीबीआई और ईडी की तर्ज पर नई गाइडलाइंस लागू कर दी हैं। इन नए नियमों का उद्देश्य आम नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना और पुलिस कार्रवाई में पारदर्शिता लाना है।

क्या हैं नए नियम?

  • हर गिरफ्तारी के लिए होगा जिम्मेदार अधिकारी
    अब हर गिरफ्तारी की जिम्मेदारी एक नामित अधिकारी की होगी। गिरफ्तारी का विवरण संबंधित जिला कंट्रोल रूम में प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा।

  • गिरफ्तारी मेमो होगा अनिवार्य
    इसमें स्थान, समय, कारण, अभियुक्त का बयान, मेडिकल जांच और बरामद सामान का विवरण स्पष्ट रूप से दर्ज किया जाएगा।

  • दो स्वतंत्र गवाहों की उपस्थिति जरूरी
    गिरफ्तारी के समय दो स्वतंत्र व्यक्तियों के हस्ताक्षर भी अब अनिवार्य कर दिए गए हैं, ताकि कार्रवाई की वैधता पर कोई सवाल न उठ सके।

  • बरामद वस्तुओं का होगा पूरा रिकॉर्ड
    तलाशी के दौरान यदि कोई वस्तु बरामद होती है तो उसका पूरा ब्यौरा भी दर्ज किया जाएगा और उसे भी कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जाएगा।

  • हर जिले में निगरानी अधिकारी

नई व्यवस्था के सुचारू अनुपालन के लिए हर जिले और कमिश्नरेट में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी, जो इन नियमों की निगरानी करेगा।

कोर्ट के आदेशों पर बनी समिति

डीजीपी ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में एक समिति गठित कर कोर्ट के निर्देशों का अध्ययन किया गया। इसके आधार पर गिरफ्तारी मेमो और व्यक्तिगत तलाशी मेमो का प्रारूप तय किया गया है।

न्याय संहिता 2023 के अनुसार कार्रवाई

इस आदेश में भारतीय नागरिक न्याय संहिता 2023 के नियम 6 का हवाला दिया गया है, जिसके अनुसार थानों और कंट्रोल रूम में हर गिरफ्तार व्यक्ति की जानकारी दर्ज की जाएगी। साथ ही, नामित अधिकारी को सूचना देने के लिए एक नया कॉलम भी जोड़ा गया है, जिसे भरना अब अनिवार्य होगा।

क्यों है यह आदेश खास?

डीजीपी ने परिपत्र में स्पष्ट किया है कि गिरफ्तारी के समय व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित होती है, इसलिए कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है। यह आदेश यूपी पुलिस के कामकाज में एक महत्वपूर्ण सुधार की दिशा में कदम माना जा रहा है, जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर आम जनता का भरोसा और मजबूत होगा। यह कदम सिर्फ एक प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक बड़ा और स्वागतयोग्य निर्णय है। आने वाले समय में यूपी पुलिस की कार्यशैली में और भी पारदर्शिता देखने को मिलेगी।

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