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गोबर से बनेगा फैब्रिक और प्लास्टिक! अब पूरी दुनिया देखेगी यूपी का विज्ञान

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उत्तर प्रदेश जल्द ही एक ऐसी नवाचारी पहल की गवाह बनने जा रहा है, जो पर्यावरण, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और गोसेवा—तीनों क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार गाय के गोबर से बायोप्लास्टिक, जैव-टेक्सटाइल, इको-पेपर और बायोगैस जैसे उत्पाद तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है।

गोबर से समाधान: प्रदूषण भी घटेगा, संसाधन भी बढ़ेगा

यह पहल न सिर्फ प्लास्टिक प्रदूषण पर लगाम लगाने में मदद करेगी, बल्कि निराश्रित गोवंश से उत्पन्न होने वाले करोड़ों किलो गोबर का वैज्ञानिक और व्यावसायिक उपयोग भी सुनिश्चित करेगी।

दिल्ली की वैज्ञानिक का शोध बना आधार

इस अभिनव योजना की तकनीकी रीढ़ बनी हैं डॉ. शुचि वर्मा, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में बायोटेक्नोलॉजी की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। डॉ. वर्मा ने गोबर से बायोप्लास्टिक और बायोपॉलिमर तैयार करने की प्रभावी और व्यावसायिक तकनीक विकसित की है। योगी सरकार अब उनके शोध को नीतिगत रूप से लागू करने की तैयारी में है।

हर गांव बनेगा ऊर्जा केंद्र

गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता ने बताया कि यह योजना मुख्यमंत्री योगी के "हर गांव ऊर्जा केंद्र" मॉडल के अनुरूप है। इससे बायोगैस, कम्पोस्ट और अन्य जैविक उत्पादों का उत्पादन तो होगा ही, साथ ही गांवों में रोजगार, ऊर्जा और आत्मनिर्भरता का नया मॉडल भी स्थापित होगा।

रोजगार, महिला उद्यम और राजस्व

इस योजना से प्रदेश के लाखों ग्रामीण युवाओं को रोजगार मिलेगा, जबकि ग्राम स्तर पर महिला उद्यमिता को नया अवसर प्राप्त होगा। इससे गोशालाएं आर्थिक रूप से मजबूत होंगी और सरकार को भी नए राजस्व स्रोत मिलेंगे। वर्तमान में यूपी में प्रतिदिन 54 लाख किलो गोबर उत्पन्न होता है—अब यह गोबर सिर्फ अपशिष्ट नहीं, बल्कि आर्थिक संसाधन में बदलेगा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिखेगा असर

गोसेवा आयोग के अनुसार, यह योजना उत्तर प्रदेश को पर्यावरण संरक्षण और सस्टेनेबल इनोवेशन के क्षेत्र में वैश्विक मानचित्र पर स्थापित कर सकती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह पहल न केवल गायों की रक्षा का माध्यम बनेगी, बल्कि एक हरित अर्थव्यवस्था की नींव भी रखेगी।

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