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क्या आपकी EV पर भी यूपी सरकार देगी सब्सिडी? जानिए नया नियम

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उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को लेकर बड़ा बदलाव होने जा रहा है। सरकार की नई योजना के तहत अब केवल यूपी में निर्मित ईवी पर ही सब्सिडी मिलेगी। अभी तक प्रदेश में खरीदे जाने वाले किसी भी राज्य में बने ईवी को सब्सिडी का लाभ मिलता था। लेकिन अब सरकार चाहती है कि सब्सिडी सीधे-सीधे प्रदेश के उद्योग और रोजगार को बढ़ावा दे। सूत्रों के मुताबिक, 14 अक्टूबर से यह नया नियम लागू हो सकता है।

क्यों लिया गया यह फैसला?

उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022 में ईवी पॉलिसी लागू की थी। इसके जरिए टैक्स व पंजीकरण शुल्क पर पूरी छूट और सीधे सब्सिडी देकर इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाई गई। अब तक 17,665 वाहन मालिकों को करीब 60 करोड़ रुपये सब्सिडी के रूप में दिए जा चुके हैं। इनमें से केवल इस साल अप्रैल से अब तक 40 करोड़ रुपये की सब्सिडी बांटी गई है।
लेकिन सरकार का मानना है कि यह पैसा प्रदेश की इंडस्ट्री और रोजगार बढ़ाने में सीधा योगदान नहीं दे रहा। इसलिए पॉलिसी में बदलाव कर सब्सिडी सिर्फ उन्हीं ईवी को मिलेगी, जो उत्तर प्रदेश में निर्मित होंगे।

कितना लाभ मिलता है सब्सिडी से?

  • दो पहिया ईवी पर: ₹5,000

  • चार पहिया ईवी पर: ₹1,00,000

  • ई-बस पर: ₹20 लाख

  • ई-गुड्स कैरियर पर: ₹1,00,000

इन लाभों की वजह से राजधानी लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में ईवी खरीदारी तेज़ी से बढ़ी है।

उद्योग और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा

नए नियम का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बड़ी कंपनियों को अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स यूपी में लगानी पड़ेंगी। ऐसा करने से प्रदेश में निवेश आएगा, स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार सृजित होंगे और सरकार के टैक्स राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम यूपी को इलेक्ट्रिक वाहनों का हब बनाने में मदद करेगा। राज्य सरकार भी यही चाहती है कि आने वाले वर्षों में यूपी ईवी उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो।

टैक्स और पंजीकरण में पूरी छूट

14 अक्टूबर 2022 को जब ईवी पॉलिसी लागू हुई थी, तब तीन साल के लिए वाहनों की खरीद पर शत-प्रतिशत टैक्स और पंजीकरण शुल्क से छूट दी गई थी। इतना ही नहीं, जिन्होंने टैक्स भर भी दिया था, उन्हें रिफंड तक मिला। यह स्कीम आने वाले अक्टूबर तक जारी रहेगी, लेकिन उसके बाद पॉलिसी का नया स्वरूप लागू हो जाएगा।

चुनौतियाँ भी कम नहीं

हालांकि, पॉलिसी में बदलाव से कुछ चुनौतियाँ भी सामने आएंगी। अभी तक जो ग्राहक बाहर के राज्यों में बनी ईवी खरीदकर सब्सिडी का लाभ ले रहे थे, उन्हें नया नियम निराश कर सकता है। साथ ही, शुरुआती दौर में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित होने में समय लगेगा। ऐसे में देखना होगा कि सरकार इस गैप को कैसे भरती है।

यूपी बनेगा ईवी मैन्युफैक्चरिंग का नया गढ़?

कुल मिलाकर, यूपी सरकार का यह फैसला प्रदेश के उद्योग और रोजगार के लिए एक बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकता है। अगर कंपनियां यहां निवेश करती हैं और उत्पादन शुरू करती हैं, तो आने वाले समय में यूपी देश का ईवी हब बन सकता है। सब्सिडी अब सिर्फ उपभोक्ता ही नहीं, बल्कि प्रदेश की आर्थिक प्रगति का साधन बनेगी।

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