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भारत में अंग प्रत्यारोपण प्रणाली को अधिक संवेदनशील, समानतापूर्ण और प्रोत्साहन-उन्मुख बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। अब से मृत अंगदाताओं के अंगों के आवंटन में महिलाओं और अंगदान करने वालों/उनके परिजनों को वरीयता दी जाएगी।
केंद्र सरकार ने राज्यों को इस नई नीति को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए हैं और साथ ही एक्शन रिपोर्ट भी मांगी है। यह निर्णय लैंगिक असमानता, अंगदान की कमी और संवेदनशील मामलों में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है।
नई व्यवस्था के तहत क्या बदलेगा?
महिलाओं को अतिरिक्त अंक: प्रतीक्षा सूची में अब महिलाओं को वरीयता दी जाएगी, ताकि भारत में अंग प्रत्यारोपण में मौजूद लैंगिक असमानता को दूर किया जा सके।
अंगदाताओं को प्राथमिकता: जिन्होंने स्वयं या जिनके परिजनों ने अंगदान किया है, उन्हें भी प्रतीक्षा सूची में विशेष वरीयता दी जाएगी।
गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस जैसे आयोजनों में होगा सम्मान: राज्य सरकारें ऐसे परिवारों को सार्वजनिक समारोहों में सम्मानित करेंगी।
दिवंगत अंगदाताओं के लिए गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार सुनिश्चित करना राज्यों की जिम्मेदारी होगी।
2024 में भारत ने 19,000 अंग प्रत्यारोपण का रिकॉर्ड छू लिया।
इसका मतलब यह है कि हर घंटे दो मरीजों को प्रत्यारोपण मिला।
भारत अब अंग प्रत्यारोपण में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया है, जबकि जीवित दाता प्रत्यारोपण के मामले में पहले स्थान पर है।
लेकिन चुनौतियां अभी भी बाकी हैं
देश में 1,000 से ज्यादा ट्रॉमा केयर सेंटर हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश में मृत अंगदाताओं से अंग प्राप्त करने की सुविधा नहीं है।
केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वे हर ट्रॉमा सेंटर में अंग और ऊतक प्राप्ति की व्यवस्था करें।
एम्बुलेंस स्टाफ और आपातकालीन कर्मियों को प्रशिक्षण देने का भी निर्देश दिया गया है, ताकि संभावित अंगदाताओं की समय रहते पहचान और समन्वय हो सके।
राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) के निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने बताया:
"भारत में जीवित दाता प्रत्यारोपण की संख्या बहुत अधिक है, और इनमें महिलाएं अक्सर दाता होती हैं, लेकिन लाभार्थियों में उनकी संख्या कम है। यह असमानता चिंता का विषय है। नई नीति से यह अंतर कम किया जा सकेगा।"
अंगदान को सामाजिक सम्मान मिलेगा
महिलाओं को चिकित्सा सुविधा में वरीयता
अंगों की बर्बादी रोकी जा सकेगी
ट्रॉमा केयर सेंटरों की उपयोगिता बढ़ेगी
केंद्र सरकार की यह पहल सिर्फ एक स्वास्थ्य नीति नहीं, बल्कि संवेदनशीलता, समानता और कृतज्ञता की दिशा में एक सामाजिक बदलाव है। अब देखना यह होगा कि राज्यों की कार्रवाई कितनी तेज़ होती है और क्या भारत अंगदान के प्रति अपनी सोच में बदलाव ला पाता है?
Baten UP Ki Desk
Published : 8 August, 2025, 1:45 pm
Author Info : Baten UP Ki