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गांवों का पानी सुरक्षित है या नहीं? सरकार करेगी हर नल का ये टेस्ट!

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देशभर में बढ़ते जल जनित रोगों और दूषित जल के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर मंडराते खतरों को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक बड़ा और अहम फैसला लिया है। अब हर गांव, हर ब्लॉक और हर पंचायत स्तर पर पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच की जाएगी। इसके लिए जल शक्ति और स्वास्थ्य मंत्रालय एक संयुक्त निगरानी प्रणाली विकसित करने जा रहे हैं।

गांव-गांव में होगी फील्ड टेस्टिंग

इस पहल के तहत हर गांव में "जल मित्र" और आशा कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दी जाएगी। इन्हें फील्ड टेस्टिंग किट्स से लैस किया जाएगा, ताकि वे आपदा की स्थिति में भी पानी की गुणवत्ता की जांच कर सकें। इसके अलावा स्कूलों, आंगनवाड़ियों और स्वास्थ्य केंद्रों में भी पानी की नियमित जांच की व्यवस्था की जाएगी।

क्या कहती है रिपोर्ट?

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में बताया गया है कि भारत में पानी के स्रोत लगातार प्रदूषित हो रहे हैं — आर्सेनिक, फ्लोराइड, नाइट्रेट जैसे जहरीले रसायनों का स्तर बढ़ रहा है। साथ ही जलवायु परिवर्तन की वजह से बाढ़ और सूखे की घटनाएं भी जल संकट को और गंभीर बना रही हैं।

पुणे का केस: जब बीमारी के पीछे निकला ‘पानी’

इस रिपोर्ट में पुणे के गुलियन-बेरी सिंड्रोम का उदाहरण भी दिया गया है, जिसमें 100 से ज्यादा लोग बीमार हुए थे। जब जांच हुई, तो खडकवासला झील में इसका स्रोत मिला, जिसके पास एक पोल्ट्री फार्म था। इससे यह साफ हुआ कि गंदा पानी जानलेवा बीमारियों की वजह बन सकता है।

अब हर ब्लॉक में चिन्हित होंगे "जल हॉटस्पॉट"

सरकार ने तय किया है कि हर ब्लॉक में उन जल स्रोतों की पहचान की जाएगी, जहां से बड़ी आबादी पानी इस्तेमाल करती है। इन जगहों को हॉटस्पॉट घोषित कर लगातार मॉनिटरिंग की जाएगी। इसमें ग्राम जल स्वच्छता समिति और ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण समिति की भी अहम भूमिका रहेगी।

क्या बोले विशेषज्ञ?

NCDC के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक:

"अब तक हम बीमारी होने के बाद इलाज करते थे, अब बीमारी के स्रोत पर ही निगरानी जरूरी है। पानी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।"

क्यों ज़रूरी है यह कदम?

  • हर साल लाखों लोग डायरिया, हैजा, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों से ग्रसित होते हैं

  • गंदा पानी अब सिर्फ ग्रामीण समस्या नहीं, शहरी खतरा भी बन चुका है

  • तकनीक और जनभागीदारी से ही पानी को सुरक्षित बनाया जा सकता है

सवाल सिर्फ एक है — क्या आप जो पानी पी रहे हैं, वो वाकई सुरक्षित है? सरकार ने तो कदम बढ़ा दिया है, अब वक्त है जनता की जागरूकता और निगरानी का।

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