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20 से 40 के पुरुष हो जाएं सावधान! आपकी ये आदत कर रहीं है बाप बनने से दूर

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अगर आप रोज़मर्रा की जिंदगी में मोबाइल फोन को अपनी पैंट की जेब में रखते हैं या घंटों तक लैपटॉप को गोद में रखकर काम करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। कलकत्ता विश्वविद्यालय (CU) और इंस्टीट्यूट ऑफ रिप्रोडक्टिव मेडिसिन (IRM) द्वारा किए गए एक नए अध्ययन ने चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा किया है।

क्या कहता है शोध?

CU के ज़ूलॉजी विभाग की जेनेटिक्स रिसर्च यूनिट और IRM की संयुक्त रिसर्च टीम ने 1,200 पुरुषों पर एक व्यापक अध्ययन किया। इस स्टडी में शामिल पुरुषों की उम्र 20 से 40 वर्ष के बीच थी और सभी बांझपन (infertility) से पीड़ित थे।

शोध में पाया गया कि:

  • जो पुरुष नियमित रूप से लैपटॉप को गोद में रखते हैं, उनका स्पर्म काउंट (शुक्राणु संख्या) काफी हद तक गिर गया है।

  • जिनकी आदत होती है मोबाइल फोन को पैंट की जेब में रखने की, उनमें भी स्पर्म की क्वालिटी और मोटिलिटी (गतिशीलता) में नाटकीय गिरावट देखी गई।

  • यह नुकसान सीधे तौर पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (EMR) के कारण होता है, जो इन डिवाइसेज़ से निकलती है और जननांगों के आसपास गर्मी और सूक्ष्म क्षति उत्पन्न करती है।

बांझपन ही नहीं, नपुंसकता का भी खतरा

शोधकर्ताओं ने यह भी चेतावनी दी कि लंबे समय तक इन आदतों को जारी रखने से केवल बांझपन नहीं, बल्कि नपुंसकता (Erectile Dysfunction) का खतरा भी बढ़ सकता है। विशेषकर युवा पुरुषों में यह खतरा कहीं अधिक है।

IRM के विशेषज्ञों ने बताया कि इन मरीजों में से अधिकांश ने पहले कभी नहीं सोचा था कि उनके डिजिटल गैजेट्स उनकी प्रजनन क्षमता पर असर डाल सकते हैं।

जीवनशैली पर दें ध्यान

रिसर्च टीम ने साफ तौर पर यह बताया कि यह समस्या शारीरिक विकृति या हार्मोनल असंतुलन से नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल फैक्टर्स जैसे कि मोबाइल और लैपटॉप की गलत उपयोग आदतों से जुड़ी हुई है।

विशेषज्ञों की सलाह:

  • लैपटॉप को हमेशा टेबल पर रखें, गोद में न रखें

  • मोबाइल को पैंट की जेब में रखने से बचें

  • ब्लूटूथ ईयरफोन या हेडसेट का सीमित उपयोग करें

  • EMR से बचाव के लिए एंटी-रेडिएशन कवर का उपयोग करें

क्या कहती है जनता?

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भी लोगों की चिंता बढ़ गई है। कई लोगों ने लिखा कि वे रोज़ ऐसी आदतें अपनाते हैं, लेकिन इस प्रभाव से पूरी तरह अनजान थे।

अंत में एक सवाल:

तकनीक का उपयोग ज़रूरी है, लेकिन क्या इसकी कीमत हमारी संतानें होंगी? अब समय है सोचने का — क्योंकि कुछ नुकसान ऐसे होते हैं जो समय के साथ नहीं सुधरते।

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