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धर्म के नाम पर आतंक का खेल! कैसे ISI की छाया में पाकिस्तान कर रहा है वैश्विक अस्थिरता की साजिश?

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आज़ादी के बाद से ही पाकिस्तान का रवैया भारत समेत कई देशों के लिए खतरे का संकेत बना हुआ है। धर्म के नाम पर कट्टरपंथ को बढ़ावा देना, आतंक को पालना और प्रॉक्सी वॉर के ज़रिए अस्थिरता फैलाना – यही उसकी रणनीति रही है। दस्तक टाइम्स की इस विशेष रिपोर्ट में जानिए, कैसे पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी ISI, दुनिया भर में आतंक के नेटवर्क चला रही हैं।

भारत से अफगानिस्तान तक फैला नेटवर्क

1947 में आज़ादी के बाद से पाकिस्तान ने कश्मीर में आतंक को हवा देना शुरू कर दिया था। लेकिन इसकी गतिविधियां सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहीं। 1979 में जब रूस ने अफगानिस्तान पर चढ़ाई की, तो अमेरिका और सऊदी अरब ने पाकिस्तान को समर्थन दिया। ISI ने जिहादी लड़ाकों को ट्रेनिंग दी, हथियार दिए और अफगानिस्तान भेजा। यहीं से शुरू हुई ISI की असली चाल, जिसने बाद में तालिबान को जन्म दिया और अफगानिस्तान को कट्टरपंथ की आग में झोंक दिया।

ईरान में शिया विरोध, ISI की भूमिका

ईरान एक शिया बहुल देश है जबकि पाकिस्तान में सुन्नी कट्टरपंथ का बोलबाला है। ISI को डर था कि अगर ईरान मजबूत हुआ तो शियाओं का प्रभाव बढ़ेगा। नतीजतन, पाकिस्तान ने जैश अल-अदल और सिपाह-ए-सहाबा जैसे आतंकी गुट खड़े किए जो शियाओं के खिलाफ काम करते हैं। इन गुटों को ISI की खुली सहायता मिली।

सऊदी अरब में भी सांप्रदायिक तनाव

हालांकि पाकिस्तान को सऊदी अरब से आर्थिक मदद मिलती रही है, फिर भी वहां शिया विरोधी प्रचार फैलाने के लिए मौलवियों और कट्टरपंथियों को भेजा गया। 2019 में सऊदी अरब ने चेतावनी दी थी कि अगर पाकिस्तान ने अपने लोगों पर लगाम नहीं लगाई तो आर्थिक सहायता बंद कर दी जाएगी।

यमन में गुप्त हस्तक्षेप

2015 में यमन में गृहयुद्ध छिड़ा जिसमें शिया हूथी विद्रोहियों को ईरान का समर्थन प्राप्त था। सऊदी ने पाकिस्तान से मदद मांगी, जिसे पाक ने सार्वजनिक रूप से अस्वीकार कर दिया। लेकिन पर्दे के पीछे ISI ने यमन के चरमपंथी गुटों को ट्रेनिंग दी जिससे संघर्ष और गहरा हो गया।

तो पैसा कहां से आता है?

जब पाकिस्तान खुद आर्थिक संकट से जूझ रहा है, तब इतना बड़ा आतंक नेटवर्क कैसे चला रहा है? इसके पीछे कई स्त्रोत हैं:

  1. विदेशी चंदा और कट्टरपंथी मदद – खाड़ी देशों से मदरसों और NGOs को चंदा मिलता है।

  2. ISI का प्रॉक्सी नेटवर्क – आतंकी संगठनों को रणनीतिक और वित्तीय मदद।

  3. ड्रग्स और हथियार तस्करी – अफगानिस्तान से होकर हेरोइन की तस्करी।

  4. हवाला नेटवर्क – गैरकानूनी तरीकों से विदेशों से फंडिंग।

  5. चीन का अप्रत्यक्ष सहयोग – पाकिस्तान को आर्थिक और सैन्य मदद, जो आतंक के संसाधनों में तब्दील हो सकती है।

क्या अब भी आंखें मूंदे रहेगा विश्व समुदाय?

पाकिस्तान का आतंक मॉडल अब पूरी दुनिया के लिए खतरा बन चुका है। भारत, अफगानिस्तान, ईरान, सऊदी और यमन – हर जगह इसकी साजिशें नजर आती हैं। अब सवाल उठता है — क्या दुनिया पाकिस्तान की इन नीतियों पर आंख मूंदकर बैठी रहेगी, या समय आ गया है कि इस आतंक के गढ़ पर वैश्विक कार्रवाई हो?

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