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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा शुरू किए गए "ऑपरेशन सिंदूर" ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है। 7 मई की अल-सुबह शुरू हुई इस सैन्य कार्रवाई में भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों और सैन्य ठांचों को भारी नुकसान पहुंचाया। इस पूरे संघर्ष पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया भी आने लगी है। ऑस्ट्रिया के विख्यात एविएशन विश्लेषक टॉम कूपर ने इस पूरे घटनाक्रम का विस्तृत विश्लेषण किया है और भारत को स्पष्ट विजेता बताया है।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की आक्रामक शुरुआत
टॉम कूपर के अनुसार, भारत ने 7 मई को तड़के पाकिस्तान के आतंकी अड्डों को निशाना बनाकर ऑपरेशन की शुरुआत की। इसके जवाब में पाकिस्तान ने यीहा-III और सोंगर जैसे ड्रोन्स और फतेह-1 मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर्स से पलटवार की कोशिश की, लेकिन भारत की तीन-स्तरीय एयर डिफेंस सिस्टम ने इन सभी हमलों को विफल कर दिया। भारत के पास रूसी S-400 (380 किमी रेंज), भारत-इजरायल की बराक-8 (70 किमी), स्वदेशी आकाश मिसाइल (25 किमी) के साथ-साथ इजरायली स्पाइडर मिसाइल सिस्टम और बोफोर्स एंटी-एयरक्राफ्ट गन जैसी शक्तिशाली प्रणालियां हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को हवा में ही नष्ट कर दिया।
भारत का जवाब: हैरोप ड्रोन्स से पाकिस्तानी सेना को बड़ा झटका
8 मई को भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए इजरायल से खरीदे गए 160 हैरोप अटैक ड्रोन्स पाकिस्तान पर भेजे। इन ड्रोन्स ने रावलपिंडी में स्थित पाकिस्तानी सैन्य मुख्यालय, लाहौर और कराची में एयर डिफेंस बटालियनों को भारी नुकसान पहुंचाया।
पाकिस्तान को इस हमले का सामना करने के लिए अपने F-16 फाइटर जेट्स तक उतारने पड़े, लेकिन भारत के ड्रोन हमलों के सामने वे भी कारगर नहीं रहे। विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान के पास महज 2-3 दिन की UAV और मिसाइल स्टॉक ही था, जो जल्द खत्म हो गया।
निर्णायक दिन: 10 मई को भारत का बड़ा वार
टॉम कूपर बताते हैं कि 10 मई भारत के लिए निर्णायक दिन साबित हुआ। इस दिन भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस और SCALP-EG मिसाइलों के जरिए पाकिस्तान के कई एयरबेस को नष्ट कर दिया। सुखोई-30MKI, मिराज 2000, और राफेल जैसे उन्नत विमानों ने कराची, लाहौर और सुक्कुर जैसे इलाकों में पाकिस्तानी एयर डिफेंस को ध्वस्त कर दिया।
भारत ने अपने जैगुआर फाइटर-बॉम्बर्स के जरिए इजरायली रैंपेज मिसाइलों से सुक्कुर एयरबेस और सरगोधा एयरबेस के पास स्थित किराना हिल्स (जहां पाकिस्तान का परमाणु भंडारण केंद्र माना जाता है) को भी निशाना बनाया। वहां के ब्लास्ट ने पूरे विश्व का ध्यान खींचा।
पाकिस्तान की स्थिति बेहद कमजोर: टॉम कूपर
टॉम कूपर ने अपने विश्लेषण में कहा कि पाकिस्तान की सभी कोशिशें नाकाम रहीं। न उनके पास आधुनिक हथियार थे, न ही पर्याप्त मिसाइल स्टॉक। लंबी दूरी की सटीक मारक क्षमता वाले हथियारों की भारी कमी पाकिस्तान को झेलनी पड़ी। भारत की तुलना में पाकिस्तान ब्रह्मोस और SCALP-EG जैसी मिसाइल क्षमताओं के लिहाज से बहुत पीछे है। वहीं भारत की एयर डिफेंस प्रणाली, सतत आधुनिकीकरण और आक्रामक रणनीति ने पाकिस्तान को बैकफुट पर धकेल दिया।
भारत की सैन्य श्रेष्ठता और रणनीतिक बढ़त का वैश्विक प्रमाण
एविएशन विशेषज्ञ टॉम कूपर का स्पष्ट मत है कि यह संघर्ष भारत की सैन्य श्रेष्ठता और रणनीतिक मजबूती को दर्शाता है। पाकिस्तान इस युद्ध में न केवल संसाधनों की कमी से जूझता नजर आया, बल्कि उसकी जवाबी रणनीति भी विफल रही। यह परिदृश्य भारत की रक्षा नीति और सैन्य तैयारियों की सफलता का प्रमाण बनकर सामने आया है। वैश्विक मंच पर भी यह संघर्ष भारत की शक्ति और रणनीतिक सोच को उजागर करता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 13 May, 2025, 1:03 pm
Author Info : Baten UP Ki