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हर साल क्यों बदलती है गुड फ्राइडे की तारीख? जानिए क्या है इसका वैज्ञानिक और धार्मिक कारण...

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आज यानी 18 अप्रैल 2025 को दुनियाभर में गुड फ्राइडे श्रद्धा और शोक के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन ईसाई समुदाय के लिए गहरे भावनात्मक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। मान्यता है कि आज से लगभग दो हजार साल पहले, इसी दिन यीशु मसीह को मानवता के कल्याण और प्रेम का संदेश देने के कारण क्रूस पर चढ़ा दिया गया था। यही कारण है कि यह दिन बलिदान, क्षमा और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है।

गुड फ्राइडे 'गुड' क्यों कहलाता है?

गुड फ्राइडे को लेकर कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि किसी के बलिदान और मृत्यु के दिन को ‘गुड’ यानी ‘अच्छा’ क्यों कहा जाता है। इसके पीछे ईसाई धर्म की वह आस्था है, जिसके अनुसार यीशु मसीह ने अपने बलिदान से पूरी मानव जाति को पापों से मुक्त कर मोक्ष का मार्ग दिखाया। बाइबल में लिखित सभोपदेशक 7:1 (Ecclesiastes 7:1) के अनुसार, "मृत्यु का दिन जन्म के दिन से उत्तम होता है।" यही वजह है कि इस दिन को 'गुड फ्राइडे' कहा जाता है। इस दिन चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं, उपवास रखा जाता है और यीशु के अंतिम शब्दों को याद किया जाता है। बाइबल के अनुसार, क्रूस पर लटकाए जाने के दौरान यीशु ने अपने शत्रुओं के लिए भी क्षमा की प्रार्थना की – "हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।" 

हर साल बदलती क्यों है गुड फ्राइडे की तारीख?

गुड फ्राइडे की तारीख हर साल बदलती है और इसका सीधा संबंध ईस्टर संडे से होता है। 325 ईस्वी में हुई ईसाई धर्मसभा 'काउंसिल ऑफ नाइसिया' में यह तय किया गया था कि ईस्टर संडे को वसंत विषुव (Spring Equinox) के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा के बाद वाले रविवार को मनाया जाएगा।

इस नियम के अनुसार, गुड फ्राइडे ईस्टर संडे से दो दिन पहले पड़ता है। यही कारण है कि यह पर्व हर साल 22 मार्च से 25 अप्रैल के बीच कभी भी आ सकता है। इस वर्ष, 21 मार्च को वसंत विषुव और 13 अप्रैल को पूर्णिमा थी, जिसके बाद 20 अप्रैल को ईस्टर और 18 अप्रैल को गुड फ्राइडे मनाया जा रहा है।

ईस्टर और गुड फ्राइडे का गहरा संबंध

गुड फ्राइडे वह दिन है जब यीशु को सूली पर चढ़ाया गया और उसके तीन दिन बाद, यानी रविवार को वह पुनर्जीवित हुए। इस घटना को ईस्टर कहा जाता है, जिसे ईसाई धर्म में पुनरुत्थान (Resurrection) का प्रतीक माना जाता है। ईस्टर संडे पर 'सनराइज सर्विस' होती है, जिसमें लोग सुबह-सुबह मोमबत्तियों के साथ प्रभु यीशु की स्तुति करते हैं। इस परंपरा में विशेष रूप से महिलाओं की भागीदारी होती है क्योंकि बाइबल के अनुसार, यीशु के पुनर्जीवित होने की खबर सबसे पहले महिलाओं को ही मिली थी।

क्रिसमस की तारीख क्यों रहती है तय?

इसके विपरीत, क्रिसमस हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है क्योंकि यह दिन ईसा मसीह के जन्म का प्रतीक है। भले ही बाइबल में यीशु के जन्म की तिथि का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन चौथी शताब्दी के आसपास चर्च ने 25 दिसंबर को यीशु का जन्मदिन घोषित किया था। क्रिसमस की तारीख सौर कैलेंडर (Gregorian Calendar) पर आधारित है, जबकि गुड फ्राइडे की तारीख चंद्र कैलेंडर और खगोलीय गणनाओं पर निर्भर करती है।

गुड फ्राइडे का संदेश: प्रेम, क्षमा और मानवता

गुड फ्राइडे केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह हमें सिखाता है कि बलिदान, क्षमा और निस्वार्थ प्रेम ही इंसानियत की असली पहचान हैं। यह दिन याद दिलाता है उस इंसान की, जिसने बिना किसी गलती के खुद को बलिदान कर दिया – ताकि दुनिया प्रेम, दया और क्षमा को समझ सके।

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