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अनिद्रा (इंसोम्निया), चिंता (एंग्जायटी) और अवसाद (डिप्रेशन) जैसी मानसिक समस्याएं आज की तेज रफ्तार जीवनशैली में आम होती जा रही हैं। लेकिन अब एक नया वैज्ञानिक अध्ययन इन मानसिक बीमारियों के पीछे छिपी दिमागी संरचनात्मक गड़बड़ियों को उजागर कर रहा है। नेचर मेंटल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित इस शोध में बताया गया है कि इन तीनों समस्याओं से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क में तीन तरह की प्रमुख असमानताएं सामान्य रूप से पाई जाती हैं।
ब्रेन स्कैन में सामने आईं दिमागी गड़बड़ियां
नीदरलैंड्स की व्रीजे यूनिवर्सिटी एम्स्टर्डम की शोधकर्ता एलेके टिस्सिंक और उनकी टीम ने UK बायोबैंक के डाटाबेस से 40,000 से अधिक लोगों के ब्रेन स्कैन का विश्लेषण किया। इस अध्ययन में यह पाया गया कि:
थैलेमस का आकार छोटा होता है, जो ध्यान और याददाश्त से जुड़ा भाग है। इसका छोटा होना व्यक्ति में ध्यान भटकने और भूलने की प्रवृत्ति को बढ़ा सकता है।
दिमाग के विभिन्न हिस्सों के बीच कमजोर कनेक्टिविटी देखी गई, जिससे मस्तिष्क के क्षेत्रों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान बाधित होता है।
सेरेब्रल कॉर्टेक्स यानी मस्तिष्क की बाहरी परत का कम क्षेत्रफल भी सामने आया, जिससे स्मृति, भाषा और भावनात्मक संतुलन प्रभावित हो सकते हैं।
तीनों रोगों में समान और विशिष्ट पैटर्न
शोध में यह भी सामने आया कि कुछ असामान्यताएं तीनों मानसिक रोगों (अनिद्रा, चिंता, अवसाद) में सामान्य होती हैं, जबकि कुछ विशिष्ट रोग से जुड़ी होती हैं:
अनिद्रा में इनाम और आनंद से जुड़े हिस्सों का आकार घटता है।
अवसाद में मस्तिष्क की बाहरी परत खासकर भाषा और भावना नियंत्रित करने वाले हिस्सों में पतली हो जाती है, जिससे व्यक्ति को भावनाएं व्यक्त करने और समझने में कठिनाई होती है।
चिंता में एमिगडाला – मस्तिष्क का डर और खतरा पहचानने वाला भाग – कम प्रभावी हो जाता है, जिससे खतरे से संबंधित भावनाएं अधिक तीव्र हो सकती हैं।
मौजूदा इलाज नहीं दे पा रहे पूरी राहत
शोधकर्ताओं का मानना है कि यह अध्ययन मौजूदा मानसिक उपचारों में सुधार की संभावना को बल देता है, क्योंकि आज उपलब्ध अधिकतर थेरेपी और दवाएं केवल लक्षणों को कम करती हैं, लेकिन बीमारी की जड़ तक नहीं पहुंच पातीं। इस अध्ययन के अनुसार, मस्तिष्क की संरचनाओं में पाए गए बदलाव मानसिक रोगों की गंभीरता को निर्धारित करने में सहायक हो सकते हैं और भविष्य में टारगेटेड ट्रीटमेंट की राह खोल सकते हैं।
मानसिक इलाज को मिल सकता है वैज्ञानिक आधार
यह शोध मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक अहम कदम माना जा रहा है, जो डॉक्टरों, न्यूरोलॉजिस्ट और रिसर्चर्स को रोगियों की बेहतर पहचान और इलाज के लिए एक ठोस वैज्ञानिक आधार प्रदान करता है। इससे भविष्य में अनुकूलित (कस्टमाइज़्ड) मानसिक उपचार योजनाएं बनाना संभव हो सकेगा।
Baten UP Ki Desk
Published : 6 May, 2025, 1:43 pm
Author Info : Baten UP Ki