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देश के नेशनल हाईवे अब पारंपरिक निर्माण तकनीकों से नहीं, बल्कि अत्याधुनिक Automated and Intelligent Machine-aided Construction (AI-MC) तकनीक से बनेंगे। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस संबंध में बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि AI-MC तकनीक को आगामी सभी हाईवे परियोजनाओं में लागू किया जाएगा। मंत्रालय ने इस अत्याधुनिक प्रणाली को अपनाने के लिए देशभर में 26 परियोजनाएं चिन्हित की हैं।
यह निर्णय लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे पर इस तकनीक के पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद लिया गया है। मंत्रालय का दावा है कि इस तकनीक से निर्माण की गुणवत्ता, पारदर्शिता, और समयबद्धता में सुधार होगा, साथ ही कंस्ट्रक्शन मटेरियल की बर्बादी भी रुकेगी।
क्या है AI-MC तकनीक?
AI-MC तकनीक के अंतर्गत सड़क निर्माण में GPS-aided मोटर ग्रेडर, इंटेलिजेंट कॉम्पैक्शन रोलर, और कॉम्पैक्शन मीटर वैल्यू जैसे उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे मिट्टी की परत, बेस, सब-बेस सहित निर्माण की हर परत को डिज़ाइन के अनुसार तैयार किया जा सकेगा। पूरी प्रक्रिया डिजिटल डेटा से ट्रैक की जाएगी, जिससे क्वालिटी कंट्रोल और पेमेंट ट्रांसपेरेंसी सुनिश्चित होगी।
किन राज्यों को मिलेगा सीधा फायदा?
सरकार ने AI-MC तकनीक को लागू करने के लिए जिन 26 हाईवे प्रोजेक्ट्स को चिन्हित किया है, उनमें प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार और मेघालय शामिल हैं।
कुछ प्रमुख स्वीकृत प्रोजेक्ट:
शिलांग-सिलचर कॉरिडोर – 167 किमी
पटना-आरा-सासाराम एनएच – 125 किमी
देवघर बाईपास, झारखंड – 49 किमी
दक्षिणी बरेली बाईपास – 30 किमी
बेंदोदे-कनकौन बाईपास, एनएच-66, गोवा – 22.1 किमी
एनएच-927डी, गुजरात – 47.6 किमी
वृंदावन बाईपास – 15 किमी
सैटेलाइट टाउनशिप रिंग रोड, बेंगलुरु – 144 किमी
सूरत-चेन्नई एक्सप्रेसवे (नाशिक-अहमदनगर-सोलापुर) – 374 किमी
भुवनेश्वर कैपिटल रिंग रोड – 111 किमी
रामेश्वरम-पारादीप कोस्टल हाईवे – 163 किमी
साहिबगंज-अरेराज-बेतिया (बिहार) – 103 किमी
भविष्य की तस्वीर
फिलहाल देश में नेशनल हाईवे की कुल लंबाई 1.46 लाख किलोमीटर है। वर्ष 2023-24 में औसतन 34 किलोमीटर प्रतिदिन की रफ्तार से सड़कें बनीं। सरकार ने वर्ष 2047 तक 45,000 किलोमीटर हाई स्पीड कॉरिडोर तैयार करने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में निर्माण प्रक्रिया को तेज, टिकाऊ और तकनीकी रूप से मज़बूत बनाने की दिशा में यह कदम अहम माना जा रहा है।
क्यों है यह तकनीक जरूरी?
विशेषज्ञों के अनुसार, पारंपरिक निर्माण में अक्सर लेयरिंग में त्रुटियां, मटेरियल की बर्बादी और स्लो प्रोग्रेस जैसी चुनौतियां सामने आती थीं। AI-MC तकनीक इन सभी समस्याओं का समाधान पेश करती है। सबसे बड़ी बात – इंसानी हस्तक्षेप घटने से भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी कम हो जाएगी।
AI-MC तकनीक के जरिए नेशनल हाईवे निर्माण में एक नई क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो आने वाले वर्षों में देश की सड़क संरचना विश्वस्तरीय बन सकती है — और वह भी कम लागत, बेहतर गुणवत्ता और तेज रफ्तार के साथ।
Baten UP Ki Desk
Published : 23 June, 2025, 8:49 pm
Author Info : Baten UP Ki