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बेटों को इंग्लिश मीडियम और बेटियों को भेजा सरकारी स्कूल! फिर भी परीक्षा में क्यों लड़कियां निकलीं आगे?

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भारत में लड़कियों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि अगर उन्हें मौका मिले, तो वे किसी भी मोर्चे पर पीछे नहीं हैं। शिक्षा मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, भले ही आज भी बेटियों को बेटों की तुलना में कम संसाधन और अवसर दिए जा रहे हों—जैसे बेटों को भेजा जा रहा है अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों में और बेटियों को सरकारी स्कूलों में—but इसके बावजूद बेटियां शैक्षणिक मोर्चे पर लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।

66 बोर्ड के आंकड़ों ने दिखाया शिक्षा में असंतुलन

यह चौंकाने वाला खुलासा राष्ट्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा सभी 66 स्कूली बोर्ड के 2024 के परीक्षा परिणामों के विश्लेषण में सामने आया है। रिपोर्ट का उद्देश्य देशभर में स्कूली शिक्षा की खामियों को पहचानना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत सुधार करना है।

फिर भी आगे निकलीं बेटियां – आँकड़ों की जुबानी

  • 10वीं कक्षा में एसटी वर्ग की बेटियों का पास प्रतिशत पिछले 11 वर्षों में 119% तक बढ़ा।

  • 12वीं कक्षा में एससी वर्ग की बेटियों का पास प्रतिशत में 252% की विस्फोटक बढ़ोतरी दर्ज की गई।

  • 10वीं कक्षा में बेटियों की कुल संख्या 2013 में 82.2 लाख से बढ़कर 2025 में 90 लाख पहुंच गई।

  • साइंस स्ट्रीम को बेटियों की नई पहली पसंद माना गया है — इसमें 110% की बढ़ोतरी, जबकि एससी वर्ग में 142.2% और एसटी वर्ग में 149% बढ़ोतरी देखी गई।

  • ड्रॉपआउट दर में भी सुधार – 2013 में 41.5 लाख छात्रों ने पढ़ाई छोड़ी थी, जबकि 2024 में यह संख्या घटकर 26.6 लाख रह गई।

बेटियों के संघर्ष और संकल्प की कहानी

रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि अभिभावकों द्वारा अब भी बेटों और बेटियों में भेदभाव किया जा रहा है। बेटों को बेहतर स्कूलों में दाखिला, महंगे कोचिंग सेंटर और संसाधन मिल रहे हैं। वहीं, बेटियों को कम बजट वाले सरकारी स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है। इसके बावजूद बेटियों की कक्षा में उपस्थिति, परीक्षा परिणाम और विषय चयन—सभी में लड़कों से बेहतर प्रदर्शन देखने को मिला है। विशेष रूप से एससी और एसटी वर्ग की बेटियों ने जिस तेजी से शिक्षा में हिस्सेदारी और सफलता हासिल की है, वह एक सामाजिक बदलाव की ओर संकेत करता है।

NEP 2020 के तहत आगे की राह

शिक्षा मंत्रालय अब NEP 2020 की सिफारिशों को लागू करने की दिशा में सक्रिय है। इसके तहत:

  • देशभर में एकसमान पाठ्यक्रम

  • समान मूल्यांकन प्रणाली

  • सभी छात्रों के लिए समान अवसर वाली प्रवेश प्रणाली

  • और शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।

बदलते आंकड़ों के साथ बदले सोच का भी वक्त

रिपोर्ट को तैयार करने वाले वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन बदलावों से लड़कियों को और भी मजबूत शैक्षणिक आधार मिलेगा और भविष्य में यह लिंग समानता की दिशा में एक अहम कदम होगा। इस रिपोर्ट ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि सामाजिक भेदभाव और संसाधनों की कमी के बावजूद, बेटियां कड़ी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास से आगे बढ़ रही हैं। यह समय है कि परिवार और समाज भी उनकी प्रतिभा पर विश्वास करें और उन्हें समान अवसर दें।

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