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600 साल बाद फटा ज्वालामुखी! क्या अब बदल जाएगा दुनिया का मौसम?

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600 वर्षों के शांत अंतराल के बाद आइसलैंड की धरती ने फिर से अंगड़ाई ली है। 3 अगस्त की रात स्थानीय समयानुसार 11 बजे दक्षिण-पश्चिमी आइसलैंड के रेयकनेस प्रायद्वीप में एक विशाल ज्वालामुखी फट पड़ा। यह केवल एक स्थानीय आपदा नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों के अनुसार – एक वैश्विक जलवायु संकट की चेतावनी है।

धरती के भीतर का बढ़ता तनाव

जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन और यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन के वैज्ञानिकों ने इस विस्फोट को “धरती के भीतर बढ़ते तनाव का अलार्म” बताया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना दर्शाती है कि पृथ्वी की प्लेटों में असंतुलन गंभीर हो चला है, जिसके दुष्परिणाम वैश्विक मौसम और पर्यावरण पर भी पड़ सकते हैं।

यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ESA) की सैटेलाइट्स ने बीते हफ्तों से धरती की सतह में असामान्य उभार और गैसों के रिसाव को रिकॉर्ड किया था। विस्फोट का यह पैटर्न 1783 के प्रसिद्ध ‘लाकी इरप्शन’ से मिलता-जुलता बताया गया है, जिसने पूरे यूरोप का तापमान गिरा दिया था और फसलें तबाह कर दी थीं।

ग्लोबल इफेक्ट: कूलिंग से लेकर मानसून तक खतरा

  • वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि यदि यह विस्फोट लंबे समय तक चलता रहा, तो वैश्विक तापमान में 0.3 से 0.5°C की गिरावट संभव है।

  • इससे खाद्य उत्पादन, मानसून की दिशा, चक्रवातों की तीव्रता और हवाई यातायात पर गंभीर असर पड़ेगा।

  • नेचर जियो साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, इससे निकलने वाले सल्फेट एरोसोल्स मानसून के व्यवहार को भी बदल सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय अलर्ट: अमेरिका और यूरोप भी सतर्क

आईसलैंडिक मेट्रोलॉजिकल ऑफिस (IMO) ने चेतावनी जारी करते हुए प्रभावित क्षेत्रों से लोगों की आपात निकासी शुरू कर दी है। देश की प्रधानमंत्री कैटरिन जैकब्सडॉटिर ने कहा,

"यह केवल आइसलैंड की आपदा नहीं, बल्कि इसकी राख और गैसें हवाओं के जरिए अमेरिका, यूरोप और एशिया तक फैल सकती हैं।"

अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे ने इस घटना को High-Impact Eruption Event घोषित किया है – यानी ऐसा विस्फोट, जिसका प्रभाव वैश्विक जलवायु, कृषि और आर्थिक स्थिरता पर पड़ सकता है।

क्या यह एक नई श्रंखला की शुरुआत है?

विज्ञान समुदाय मानता है कि यह घटना ‘लावा क्लॉक’ के एक बड़े चक्र की शुरुआत हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस श्रृंखला को रोका नहीं जा सकता, लेकिन वैश्विक तैयारी और रणनीति से इसके प्रभावों को कम किया जा सकता है।

क्या सीखा जाए?

आइसलैंड में फटे इस ज्वालामुखी ने एक बार फिर याद दिलाया है –धरती की चेतावनियों को नजरअंदाज करना मानवता के लिए भारी पड़ सकता है।

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