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हर कंटेनर पर 50 हजार का बोझ! यूपी के कारोबार को कैसे डुबो रहा है पश्चिम एशिया का युद्ध?

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ईरान और इजरायल के बीच जारी युद्ध का असर अब वैश्विक सीमाओं को पार करते हुए भारत के निर्यात बाजार तक पहुंच चुका है। उत्तर प्रदेश के प्रमुख निर्यात केंद्र मुरादाबाद में कारोबारी हलकों में चिंता बढ़ गई है, जहां युद्ध के चलते शिपिंग कंपनियों द्वारा लगाए गए युद्ध सरचार्ज (War Surcharge) के कारण प्रति कंटेनर 15,000 से 50,000 रुपये तक की अतिरिक्त लागत का बोझ उठाना पड़ रहा है।

30% तक घट सकते हैं निर्यात ऑर्डर

निर्यातकों का कहना है कि यदि हालात जल्द नहीं सुधरे, तो अगले तीन महीनों में ऑर्डरों में 30% तक गिरावट आ सकती है। शिपिंग दरों में उछाल, बीमा प्रीमियम में तीन से पांच गुना वृद्धि, और समय पर डिलीवरी की अनिश्चितता ने विदेशी ग्राहकों को सतर्क कर दिया है। कई ने ऑर्डर रोक दिए हैं, तो कुछ नए ऑर्डर देने से हिचकिचा रहे हैं। एमएचईए अध्यक्ष नवेद उर रहमान ने बताया, "अमेरिका और रूस के ऑर्डरों पर ही फिलहाल काम चल रहा है। इजरायल के ग्राहकों ने ऑर्डर रोकने की बात कही है, और नए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं।"

स्वेज नहर और होर्मुज जलडमरू मार्ग संकट में

मौजूदा संकट के दो बड़े भू-राजनीतिक बिंदु हैं — गाजा पर इजरायली हमलों के जवाब में हूती विद्रोहियों का स्वेज नहर मार्ग पर दबाव, और ईरान द्वारा होर्मुज जलडमरू मध्य को बंद करने की चेतावनी। दोनों ही रास्ते वैश्विक व्यापार, विशेष रूप से तेल, गैस और भारी कंटेनर व्यापार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में शिपिंग कंपनियों ने वैकल्पिक रूट की योजना बनानी शुरू कर दी है, जिससे माल पहुंचने में 2 से 3 सप्ताह की देरी की आशंका है। यस के चेयरमैन जेपी सिंह ने कहा, "सरचार्ज से लागत बढ़ रही है, वहीं समुद्री मार्गों में तनाव से देरी और बीमा प्रीमियम में बढ़ोतरी की संभावना है।"

तेल, डीजल और गैस महंगे होने की आशंका

ईरान द्वारा होर्मुज जलडमरू मध्य को बंद करने की घोषणा से कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की सप्लाई प्रभावित हो सकती है। भारत की 38% तेल आपूर्ति अब रूस से होती है, जो स्वेज नहर मार्ग से होकर आती है। इन दोनों मार्गों पर संकट का असर तेल, डीजल और एलएनजी की कीमतों पर भी पड़ सकता है — जिसका असर आम उपभोक्ता और निर्यातकों दोनों पर पड़ेगा।

600 करोड़ का सालाना व्यापार खतरे में

मुरादाबाद से इजरायल को हर साल करीब 600 करोड़ रुपये का निर्यात होता है, जिसमें धातु शिल्प, हस्तशिल्प और सजावटी वस्तुएं शामिल हैं। वहीं, ईरान सीधे न खरीदते हुए खाड़ी देशों के ज़रिए यहां का माल मंगवाता है। ऐसे में पूरे मिडिल ईस्ट व्यापार चैनल पर असर देखा जा रहा है।

स्थानीय लोग इजरायल में सुरक्षित

हालांकि, इजरायल में रह रहे संभल और आसपास के इलाके के कामगारों ने बताया है कि फिलहाल उन्हें वहां किसी तरह की समस्या नहीं हो रही। सीडलमाफी के राजवीर और शाहपुर डसर के वीरपाल जैसे प्रवासी कामगारों ने कहा कि "वे पूरी तरह सुरक्षित हैं और रोज अपने परिवार से बात कर पा रहे हैं।"

अमेरिका की कार्रवाई की निंदा

इस बीच, मुरादाबाद में सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (एसयूसीआई) ने ईरान पर हुए अमेरिकी हमले की कड़ी निंदा की है। पार्टी ने एक शांति मार्च की घोषणा की है जो मंगलवार को कंपनी बाग से कचहरी तक निकाला जाएगा। जिला सचिव हरकिशोर सिंह ने इसे "अंतरराष्ट्रीय चेतावनियों की अनदेखी कर की गई बर्बर कार्रवाई" बताया।

मुरादाबाद के निर्यात पर मंडराता आर्थिक संकट

ईरान-इजरायल युद्ध का प्रभाव अब सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं है — इसका सीधा असर भारत के निर्यात बाजार, ईंधन आपूर्ति और अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल रहा है। मुरादाबाद के कारोबारी क्षेत्र की यह चिंता पूरे देश के लिए चेतावनी है कि वैश्विक संघर्ष का असर लोकल लेवल पर कितना व्यापक हो सकता है।

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