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जब डिजिटल दुनिया पर हुआ साइबर हमला! जानिए क्या होता है DDoS अटैक

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सोचिए, आप अपनी जमीन या घर की रजिस्ट्री कराने गए हैं, लेकिन सरकारी पोर्टल पर लॉगिन करते ही पेज लोड ही नहीं हो रहा। इंतजार बढ़ता जा रहा है, सिस्टम ठप पड़ा है, और हजारों लोग ऑनलाइन कतार में फंसे हैं। यह सिर्फ एक तकनीकी गड़बड़ी नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश थी। जनवरी 2025 में कर्नाटक के Kaveri 2.0 पोर्टल पर ऐसा ही हुआ, जब एक बड़े DDoS (Distributed Denial of Service) अटैक ने इसे पूरी तरह से ठप कर दिया। यह कोई साधारण तकनीकी समस्या नहीं थी, बल्कि एक साइबर हमला, जिसने डिजिटल सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

क्या होता है DDoS अटैक?

DDoS एक ऐसा साइबर हमला है जिसमें किसी वेबसाइट या ऑनलाइन सेवा को इतने फर्जी रिक्वेस्ट्स भेजे जाते हैं कि वह असली यूजर्स के लिए काम करना बंद कर देती है। इसे एक उदाहरण से समझें –

  • मान लीजिए, एक दुकान में आमतौर पर 5-10 ग्राहक आते हैं, और दुकानदार आराम से सबको सामान दे पाता है।
  • अचानक, 10 हजार लोग दुकान में बिना कुछ खरीदे घुस जाएं और अंदर ही खड़े रहें।
  • दुकान इतनी भीड़ से भर जाएगी कि असली ग्राहक अंदर नहीं जा पाएंगे और दुकान का काम ठप हो जाएगा।

ठीक ऐसा ही इंटरनेट की दुनिया में होता है। हजारों बॉटनेट (हैक किए गए कंप्यूटर और डिवाइस) किसी वेबसाइट पर बिना वजह रिक्वेस्ट भेजते हैं, जिससे वह ठप हो जाती है।

"Distributed" क्यों कहा जाता है?

इस हमले को "Distributed" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह एक ही जगह से नहीं, बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद हजारों कंप्यूटर से एक साथ किया जाता है।

कावेरी पोर्टल पर अटैक – साइबर सुरक्षा पर सवाल?

Kaveri 2.0 पोर्टल पर इस हमले ने भारत की साइबर सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकारी वेबसाइटों पर ऐसे हमले पहले भी देखे गए हैं, लेकिन इस बार महत्वपूर्ण सेवाएं प्रभावित हुईं, जिससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अब देखना होगा कि सरकार और साइबर सुरक्षा एजेंसियां ऐसे हमलों को रोकने के लिए क्या कदम उठाती हैं और भविष्य में इस तरह के साइबर अटैक से बचाव कैसे किया जाएगा।

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