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क्या 5G नेटवर्क से हो सकता है चर्मरोग और कोरोना? वैज्ञानिकों ने की ये रिसर्च ...

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5G नेटवर्क के स्वास्थ्य पर असर को लेकर वर्षों से फैली अफवाहों पर अब वैज्ञानिकों ने एक बार फिर से मुहर लगा दी है। जर्मनी के वैज्ञानिकों द्वारा की गई एक नई स्टडी में यह साफ तौर पर साबित हो गया है कि 5G की रेडियो तरंगें इंसानी त्वचा या डीएनए को कोई नुकसान नहीं पहुंचातीं।

5G से जुड़ी अफवाहें: चर्मरोग से लेकर कोरोना तक

जब भारत समेत दुनिया में 5G की शुरुआत हुई थी, तब इसे लेकर कई तरह की आशंकाएं जताई गईं। सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलीं कि 5G से पक्षियों की मृत्यु हो रही है, उनके अंडे समय से पहले फूट रहे हैं, लोगों को चर्मरोग हो रहा है, यहां तक कि कोरोना वायरस को भी 5G से जोड़ा गया। हालांकि अब वैज्ञानिक आधार पर इन बातों को सिरे से खारिज कर दिया गया है।

जर्मनी में हुआ सीधा और नियंत्रित परीक्षण

यह शोध जर्मनी की कंस्ट्रक्टर यूनिवर्सिटी में किया गया और इसके नतीजे प्रतिष्ठित PNAS Nexus जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने मानव त्वचा की दो कोशिका प्रजातियोंफाइब्रोब्लास्ट और केराटिनोसाइट्स — को 5G की 27 GHz और 40.5 GHz आवृत्ति वाली तरंगों के सीधे संपर्क में लाया। इस रिसर्च में जानबूझकर "सबसे खराब स्थिति" को दोहराया गया, यानी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों की तीव्रता को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों से भी अधिक रखा गया और कोशिकाओं को 2 घंटे से लेकर 48 घंटे तक एक्सपोज़ किया गया, ताकि अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों प्रभावों को समझा जा सके।

क्या मिला नतीजा?

रिसर्चर्स ने पाया कि 5G तरंगों के संपर्क में आने के बावजूद कोशिकाओं में जीन अभिव्यक्ति (gene expression) और डीएनए मिथाइलेशन (DNA methylation) में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। इससे यह साबित होता है कि 5G तरंगें जैविक रूप से हानिकारक नहीं हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, “3 GHz तक की तरंगें त्वचा में लगभग 10 मिलीमीटर तक जाती हैं, जबकि 10 GHz से ऊपर की तरंगें केवल 1 मिलीमीटर तक ही प्रवेश कर पाती हैं।” इसलिए इतनी सतही पहुंच वाली तरंगों से गंभीर जैविक प्रभाव की आशंका वैज्ञानिक आधार पर गलत साबित होती है।

वैज्ञानिकों ने 5G को बताया सुरक्षित

वैज्ञानिकों ने परीक्षण के दौरान यह भी ध्यान रखा कि तरंगों के संपर्क में आने से त्वचा में ताप (heat) का असर हो। नतीजे में साफ कहा गया कि “जब ताप प्रभाव नहीं है, तब किसी प्रकार का जैविक खतरा भी नहीं है।”

अफवाहों को पीछे छोड़ें, 5G तकनीक सुरक्षित है

इस अध्ययन ने स्पष्ट रूप से यह सिद्ध कर दिया है कि 5G नेटवर्क से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी डर और साजिश-थ्योरियों में कोई वैज्ञानिक सच्चाई नहीं है। आम लोगों को चाहिए कि वे 5G को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों से बचें और इस तकनीक का सुरक्षित और लाभकारी उपयोग करें।

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