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हत्या और बलात्कार के मामलों में दोषी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर 40 दिन की पैरोल मिल गई है। यह 2020 से अब तक उसकी 14वीं रिहाई है। यानी जेल में सजा काट रहे राम रहीम अब तक 326 दिन जेल में और बाकी बाहर बिता चुका है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या कोई सजायाफ्ता अपराधी इतनी बार जेल से बाहर आ सकता है? क्या है पैरोल की सीमा और नियम? आइए जानते हैं...
क्या है पैरोल और कितने प्रकार की होती है?
भारत में पैरोल दो प्रकार की होती है:
कस्टडी पैरोल – अधिकतम 6 घंटे की, केवल आपातकालीन स्थिति में।
रेगुलर पैरोल – सामान्यतः 30 दिनों की होती है, जिसे 90 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।
पैरोल अस्थायी रिहाई है, जो जेल में अच्छे आचरण या व्यक्तिगत परिस्थितियों के आधार पर दी जाती है।
कोई अपराधी कितनी बार पैरोल ले सकता है?
कानूनन, एक कैदी 6 महीने के अंतराल पर पैरोल के लिए आवेदन कर सकता है।
लेकिन आपातकालीन स्थिति में (जैसे परिवार में मृत्यु, विवाह, गंभीर बीमारी आदि) 6 महीने से पहले भी पैरोल मिल सकती है।
दिल्ली जेल नियम 2018 के अनुसार, एक साल में कैदी को उसके आचरण के आधार पर 3–4 महीने तक की छूट मिल सकती है।
पैरोल: जरूरत और परिस्थितियों पर आधारित होती है — विवाह, बीमारी, या आपदा।
फरलो: अच्छे आचरण पर मिलती है — यह छुट्टी की तरह होती है और एक महीने बाद फिर से आवेदन किया जा सकता है।
राम रहीम को क्यों मिलती रहती है पैरोल?
राम रहीम को मिली हालिया पैरोल पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि उसकी ज्यादातर रिहाइयां चुनावी समय के करीब हुई हैं। आलोचकों का आरोप है कि उसका राजनीतिक प्रभाव पैरोल के फैसलों को प्रभावित कर रहा है।
क्या बार-बार पैरोल नियमों के खिलाफ है?
तकनीकी रूप से नहीं, लेकिन:
बार-बार दी गई पैरोल सवाल खड़े करती है — क्या सभी कैदियों को यही सुविधाएं मिलती हैं?
जेल प्रशासन और कोर्ट को हर बार कारण बताना होता है, कि क्यों कैदी को फिर से बाहर भेजा जा रहा है।
गुरमीत राम रहीम की 14वीं पैरोल से ये बहस एक बार फिर तेज हो गई है कि क्या भारतीय पैरोल प्रणाली को फिर से देखे जाने की जरूरत है? क्या सभी कैदियों के साथ समानता बरती जा रही है, या विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को बार-बार रियायतें मिल रही हैं?
Baten UP Ki Desk
Published : 9 August, 2025, 3:00 pm
Author Info : Baten UP Ki