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लोकसभा में हंगामे के बीच बिना चर्चा के दोनों कर विधेयक पारित, विपक्ष ने जताया विरोध 49 मिनट पहले

लोकतंत्र की लड़ाई या सियासी स्टंट? दिल्ली में विपक्ष ने दिखाया पावर शो!

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संसद से चुनाव आयोग तक विपक्ष का मार्च आज सियासी टकराव का बड़ा मंच बन गया। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और कथित ‘वोट चोरी’ के खिलाफ इंडिया गठबंधन के सांसद जैसे ही सड़क पर उतरे, दिल्ली पुलिस ने संसद मार्ग पर ही बैरिकेड लगाकर रास्ता रोक दिया। लेकिन दृश्य अचानक नाटकीय हो गया- समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव बैरिकेड पर चढ़े, छलांग लगाई और सड़क पर धरने में बैठ गए। उनके साथ तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा, कांग्रेस की प्रियंका गांधी और कई अन्य सांसद नारेबाज़ी करते दिखे।

सड़क से थाने तक: राहुल-प्रियंका समेत कई विपक्षी नेता हिरासत में

पुलिस ने सभी को समझाने की कोशिश की, लेकिन न मानने पर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, संजय राउत, रणदीप सुरजेवाला समेत कई सांसदों को हिरासत में ले लिया गया। हिरासत में लिए गए नेताओं को पास के पुलिस स्टेशन ले जाया गया।

विपक्ष क्यों उतरा सड़क पर?

आज का यह मार्च मल्लिकार्जुन खरगे, शरद पवार, टीआर बालू, डेरेक ओ’ब्रायन जैसे दिग्गज नेताओं की अगुवाई में निकाला गया था। विपक्ष का आरोप है कि बिहार में मतदाता सूची में संशोधन का उद्देश्य चुनाव से पहले लाखों मतदाताओं को सूची से बाहर करना है। उनका कहना है कि यह लोकतंत्र और ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के सिद्धांत पर सीधा हमला है।

पुलिस की दलील

संयुक्त पुलिस आयुक्त दीपक पुरोहित के मुताबिक, चुनाव आयोग ने विपक्षी नेताओं को केवल 30 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के रूप में बुलाया था और उनके नाम पहले से देने को कहा था। “मार्च की कोई अनुमति नहीं थी, इसलिए उन्हें यहीं रोकना पड़ा,” पुलिस ने कहा।

मार्च से टकराव तक

  • बैरिकेड कूदे अखिलेश – रोके जाने के बाद अखिलेश यादव ने बैरिकेड लांघकर सड़क पर धरना दिया।

  • महिला सांसद भी आगे – महुआ मोइत्रा, सुष्मिता देव और संजना जाटव भी बैरिकेड पर चढ़ीं और चुनाव आयोग के खिलाफ नारे लगाए।

  • मिताली बाग की तबीयत बिगड़ी – प्रदर्शन के बीच TMC सांसद बेहोश हो गईं, राहुल गांधी और अन्य नेता मदद के लिए दौड़े।

विपक्ष के तेवर

  • राहुल गांधी – “यह लड़ाई राजनीतिक नहीं, संविधान बचाने की है। हम साफ-सुथरी मतदाता सूची चाहते हैं।”

  • प्रियंका गांधी – “हमने हिम्मत दिखाई, सरकार डर गई है।”

  • जयराम रमेश – “चुनाव आयोग अब ‘चुराओ आयोग’ बन गया है।”

  • शशि थरूर – “मतदान प्रक्रिया की निष्पक्षता पर संदेह लोकतंत्र को कमजोर करता है।”

SIR विवाद ने संसद से सड़क तक गरमाया माहौल

विपक्ष संसद के मानसून सत्र में लगातार SIR के मुद्दे पर सरकार को घेर रहा है। 21 जुलाई से सत्र शुरू होने के बाद से दोनों सदनों में इस मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है, और विधायी कार्य लगभग ठप है। आज का यह घटनाक्रम सिर्फ बैरिकेड और धरने का नहीं था, बल्कि लोकतंत्र की प्रक्रिया, मतदाता अधिकार और चुनावी पारदर्शिता पर देशव्यापी बहस को और तेज़ करने वाला था।

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