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मिशन मून के लिए गाजियाबाद टीम का रोवर तैयार

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नासा पिछले 15 सालों से मिशन मून के लिए कई प्रतियोगिताएं आयोजित करा रहा है। पहले इस प्रतियोगिता को ‘नासा मून बग्गी रेस’के नाम से जाना जाता था। अब इसका नाम ‘नासा ह्यूमन एक्सप्लोरेशन रोवर चैलेंज’ 2023 हो गया है। इस प्रतियोगिता का एक यही उद्देश्य है कि मिशन में कुछ नया इनोवेशन किया जाए। इस प्रतियोगिता के तहत हर साल दुनियाभर की कुछ टीमों का सिलेक्शन किया जाता है जो अपने-अपने प्रोजेक्ट को पेश करती हैं। साल 2019 में चाँद पर भेजे गए एस्ट्रोनॉट द्वारा कुछ सॉलिड सैंपल मिले थे, लेकिन इस बार नासा लिक्विड सैंपल चाहता है। इसके लिए मून पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट रोवर से बैठकर ही लिक्विड सैंपल इकठ्ठा करेंगे।

नासा ने किया यूपी की टीम का चयन-

हाल ही में नासा ने दुनियाभर के इंजीनियरिंग कॉलेज में ‘मैन मेड रोवर’ बनाने के लिए सुझाव की मांग की थी जिसके अंतर्गत 16 टीमों का चयन हुआ। जिसमें भारत से 8 टीमें सेलेक्ट हुई है। ख़ास बात यह है कि इसमें यूपी की भी तीन टीमें शामिल हैं। पिछले साल नासा ने इसके लिए कॉलेजों से एंट्री मांगी थी। जिसके बाद सितंबर 2022 में स्टूडेंट्स की टीम ने अपने-अपने डिजाईन प्रोजेक्ट को सबमिट किया था। बहुत जल्द नासा में होने वाली प्रतियोगिता में यह टीमें अपने-अपने रोवर की खासियत बताएंगी। दुनियाभर की 16 टीमों में यूपी के गाजियाबाद के काईट कॉलेज, नोएडा की एमिटी यूनिवर्सिटी और शिव नाडर यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की टीम भी इसमें शामिल है, जिनका चयन कम्पटीशन के तहत किया गया है। गाजियाबाद के काईट कॉलेज की टीम ने एक ख़ास रोवर बनाकर तैयार किया है। टीम दावा करती है कि उनका रोवर मून पर जाने के लिए परफेक्ट है और उसका चुनाव नासा ज़रूर करेगी। 

टीम इंटरस्टेलर्स के रोवर की खासियत- 
टीम के मेंटर तुहिन श्रीवास्तव बताते हैं कि काईट कॉलेज ने तीसरी बार इस प्रतियोगिता में भाग लिया है। वे बताते हैं कि साल 2019 में उनकी टीम को ‘AIAA नील आर्मस्ट्रांग बेस्ट डिजाइन अवार्ड’ भी मिला था। साल 2021 में उन्हें ‘फिनिक्स अवार्ड' से भी सम्मानित किया गया। उनकी टीम ‘टीम इंटरस्टेलर्स’ में कुल 6 सदस्य हैं। उनकी टीम ने मून पर जाने के लिए रोवर रेडी कर लिया है। जो चाँद पर उतारने के 1 सेकंड के अंदर ही असेम्बल होने के साथ ही केवल 5 सेकंड में स्पीड भी पकड़ लेगा। इसके चारों व्हील मैन्युअल ड्राइविंग पर बेस्ड है इसलिए इसे पॉवर बैकअप की जरूरत नहीं है। उनका यह रोवर 5 फीट चौड़ा और लंबा है। इस रोवर को चलाने के लिए दो एस्ट्रोनॉट की ज़रूरत पड़ेगी। जो अपने पैरों के मूवमेंट से इसे आसानी से चला सकेंगे। टीम बताती है कि करीब 6 महीने का समय इसे डिजाइन करने में लगा और 6 महीने इसे फॅब्रिकेट करने में। टीम के कप्तान अगम जैन बताते हैं कि रोवर की यह जर्नी आसान नहीं थी। रातभर जागकर इसे डिजाईन और असेम्बल किया गया। लम्बाई-चौड़ाई का ध्यान रखते हुए बॉक्स में इसे फिट करना, फ्रेम की स्ट्रेंथ, व्हीकल के वेट को कम रखने जैसे सभी टास्क को पूरा करना काफी चैलेंजिंग था, वे कहते हैं कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनकी टीम प्रतियोगिता में ज़रूर जीतेगी।

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