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NASA-ISRO का 12,500 करोड़ का ये मिशन...जो बताएगा कहां दरकी धरती, कहां पिघली बर्फ!

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA मिलकर इतिहास रचने जा रहे हैं। 30 जुलाई को दोनों एजेंसियों का साझा प्रोजेक्ट निसार (NISAR: NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। यह मिशन पृथ्वी पर हो रहे बदलावों की निगरानी करने के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।

हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी का स्कैन करेगा निसार

निसार मिशन की खास बात यह है कि यह हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी की सतह का उच्च-रिजॉल्यूशन डेटा देगा, वो भी दिन-रात और हर मौसम में। इस मिशन का कुल बजट करीब 12,500 करोड़ रुपये है और यह इसरो और नासा के एक दशक पुराने सहयोग का सबसे बड़ा परिणाम है।

किसी भी मौसम में देगा भरोसेमंद डेटा

इस उपग्रह को भारत के GSLV-F16 रॉकेट द्वारा 743 किलोमीटर ऊंची सूर्य समकालिक कक्षा (Sun-Synchronous Orbit) में स्थापित किया जाएगा। खास बात यह है कि यह मिशन L-बैंड (NASA) और S-बैंड (ISRO) दोनों पर काम करता है। इसके चलते यह सैटेलाइट घने जंगलों, बर्फीली सतह और बादलों के आर-पार भी बेहद सटीक डेटा जुटा सकेगा।

कहां-कहां आएगा काम?

  • भूकंप, बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी

  • समुद्री जलस्तर और बर्फ की चादरों में हो रहे बदलाव

  • जंगलों की कटाई और वनस्पति में परिवर्तन

  • सतही जल संसाधनों की मैपिंग

  • कृषि, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर रिसर्च

क्या हैं सैटेलाइट की विशेषताएं?

निसार में 12 मीटर का मेष रिफ्लेक्टर एंटीना लगा है, जो I3K सैटेलाइट बस के साथ जोड़ा गया है। यह 242 किलोमीटर चौड़ी पट्टी में पृथ्वी की स्कैनिंग करेगा। इसके जरिए सतह की सूक्ष्म विकृति (Deformation) और मिट्टी की नमी जैसे बदलावों की सटीक पहचान की जा सकेगी। निसार मिशन न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक वैज्ञानिक वरदान साबित हो सकता है। यह डेटा नीति-निर्माण से लेकर आपदा प्रबंधन तक अनेक क्षेत्रों में उपयोगी होगा। 30 जुलाई को शाम 5:40 बजे जैसे ही यह मिशन लॉन्च होगा, दुनिया की निगाहें श्रीहरिकोटा पर टिकी होंगी।

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