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एक ऐसा कैंसर जो बिना दर्द के ले लेता है जान! किसको सावधान रहने की है जरूरत?

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भारत में महिलाओं के लिए एक साइलेंट लेकिन घातक खतरे के खिलाफ सरकार की सक्रियता अब बड़े पैमाने पर नज़र आने लगी है। सर्वाइकल कैंसर—जो दुनिया भर में महिलाओं को प्रभावित करने वाला चौथा सबसे आम कैंसर है—अब भारत में भी केंद्र सरकार की स्वास्थ्य प्राथमिकताओं में शामिल है।

सर्वाइकल कैंसर पर सरकार की बड़ी पहल

ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, आयुष्मान आरोग्य मंदिर और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत 10.18 करोड़ से अधिक महिलाओं की जांच की जा चुकी है। इस आंकड़े ने एक ओर जहां सरकार की गंभीरता को दिखाया, वहीं दूसरी ओर यह भी संकेत दिया कि सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारियों की समय पर पहचान आज भी बड़ी चुनौती बनी हुई है।

क्या होता है सर्वाइकल कैंसर?

यह कैंसर गर्भाशय के निचले हिस्से (ग्रीवा) में होता है, जो योनि से जुड़ता है। इसका प्रमुख कारण है – एचपीवी (Human Papillomavirus), जो एक यौन संचारित वायरस है। हालांकि, हर एचपीवी संक्रमण कैंसर में नहीं बदलता, लेकिन अगर लंबे समय तक शरीर में मौजूद रहे तो यह कोशिकाओं में असामान्य बदलाव लाकर कैंसर का कारण बन सकता है।

कौन-कौन से लक्षण हैं चेतावनी संकेत?

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण अक्सर शुरुआती स्तर पर स्पष्ट नहीं होते, लेकिन अगर इनमें से कोई संकेत लंबे समय तक बना रहे, तो सतर्क हो जाना चाहिए:

  • मासिक धर्म के बीच या यौन संबंध के बाद रक्तस्राव

  • योनि से दुर्गंधयुक्त या खून मिला स्राव

  • पेल्विक एरिया में दर्द, विशेषकर यौन संबंध के दौरान

  • बाद की स्टेज पर: पेशाब में दर्द, वजन गिरना, थकान, और पैरों में सूजन

बचाव ही सबसे बड़ा इलाज है!

विशेषज्ञ मानते हैं कि एचपीवी वैक्सीन इस कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकती है। इसके अलावा:

  • यौन संबंधों में सावधानी: कंडोम का प्रयोग करें

  • धूम्रपान से दूरी: स्मोकिंग से कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है

  • नियमित जांच: Pap Smear टेस्ट और HPV DNA टेस्ट से शुरुआती पहचान संभव है

उपचार संभव है, अगर समय रहते पहचान हो

सर्वाइकल कैंसर का इलाज उसकी स्टेज और मरीज की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। इलाज में शामिल हैं:

  • सर्जरी

  • रेडिएशन थेरेपी

  • कीमोथेरेपी

समय रहते जांच और इलाज शुरू किया जाए, तो इससे पूरी तरह उबरना भी संभव है।

सरकार की पहल से उम्मीदें बढ़ीं

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अगले कुछ वर्षों में स्क्रीनिंग नेटवर्क को और मजबूत किया जाएगा। खासकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि हर महिला तक यह सुविधा पहुंचे।

यह सिर्फ सरकार की नहीं, आपकी भी ज़िम्मेदारी है

भारत में हर साल हजारों महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आ रही हैं। ऐसे में जरूरी है कि महिलाएं खुद जागरूक बनें, समय-समय पर जांच कराएं और बचाव के उपायों को जीवनशैली में शामिल करें। यह एक ऐसा कैंसर है जिसे रोकना भी संभव है और हराना भी।

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