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लखनऊ बना स्टैंडअप इंडिया योजना का हब! जानिए वो आंकड़ा जिसने पूरे देश को चौंका दिया

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देश के युवा और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही स्टैंडअप इंडिया योजना में उत्तर प्रदेश ने एक बार फिर बाजी मार ली है — और इस कामयाबी में सबसे आगे रहा है लखनऊ जिला, जिसने मंडल और राज्य दोनों स्तरों पर टॉप स्थान हासिल किया है।

10 वर्षों में 2965 करोड़ रुपये का ऋण, 17,845 लाभार्थी

पब्लिक सेक्टर बैंकों की सक्रिय भूमिका के चलते योजना को ज़मीनी सफलता मिली है। 10 वर्षों में 17,845 पात्र लाभार्थियों को लगभग 2965 करोड़ रुपये का ऋण देकर स्टैंडअप इंडिया योजना को मजबूती दी गई है। लखनऊ अकेले 2024 में 1291 लाभार्थियों को 242.23 करोड़ रुपये का ऋण देकर पहले स्थान पर रहा, जबकि आगरा और कानपुर नगर क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।

सार्वजनिक बैंक आगे, निजी और ग्रामीण बैंक पिछड़े

जहां सरकारी बैंक योजना को पूरी निष्ठा से लागू कर रहे हैं, वहीं निजी और ग्रामीण बैंकों का योगदान अपेक्षाकृत कमजोर रहा है:

  • ग्रामीण बैंक: 2178 पात्रों में से सिर्फ 1873 को ऋण (311.47 करोड़ ₹)

  • निजी बैंक: 1633 पात्रों में से मात्र 493 को ऋण (138.86 करोड़ ₹)

योजना के अंतर्गत कुल 33,640 पात्रों में से 28,625 को ऋण मंजूरी दी गई, परंतु केवल 20,214 को ही वास्तव में ऋण प्राप्त हुआ।

उत्तर प्रदेश बना देश का अग्रणी राज्य

राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश स्टैंडअप इंडिया योजना में पहले स्थान पर है। यह सफलता स्पष्ट संकेत देती है कि यहां योजना का क्रियान्वयन अधिक सशक्त और ज़मीनी स्तर पर प्रभावी रहा है।

2025 में आए ये बड़े बदलाव

वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2025 से योजना में कुछ संशोधन भी किए हैं:

  • सब्सिडी में कटौती: अब सब्सिडी दर 25% से घटाकर 15% कर दी गई है।

  • नई श्रेणियों का समावेश:

    • रेशम पालन

    • मधुमक्खी पालन

    • एग्री-बिजनेस

    • फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स

इन क्षेत्रों को अब स्टैंडअप इंडिया के तहत ऋण मिल सकेगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि आधारित उद्योगों को नई गति मिलेगी।

जिला-वार कर्ज वितरण पर एक नजर

जिला पात्र लाभार्थी ऋण प्राप्त लाभार्थी कुल ऋण (₹ करोड़ में)
लखनऊ 2024 1291 242.23
आगरा 1421 1175 211.99
कानपुर नगर 1940 1171 213.01
वाराणसी 1430 1004 193.35

वित्तीय विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि निजी बैंकों की भागीदारी को भी अनिवार्य और सक्रिय बनाया जाए, तो स्टैंडअप इंडिया योजना का असर और अधिक व्यापक हो सकता है। खासकर महिला उद्यमियों और वंचित वर्गों के लिए यह योजना आर्थिक आत्मनिर्भरता का सेतु बन सकती है।

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