उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ने स्वच्छता के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में देशभर में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। यह सम्मान 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में मिला है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में लखनऊ को यह पुरस्कार सौंपा। इस दौरान केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा, मेयर सुषमा खर्कवाल और पूर्व नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह उपस्थित रहे।
44वें स्थान से सीधे तीसरे पर पहुंचा लखनऊ
लखनऊ ने बीते वर्ष की तुलना में 41 अंकों की जबरदस्त छलांग लगाते हुए 44वें स्थान से तीसरे स्थान पर जगह बनाई है। यह छलांग न केवल लखनऊ नगर निगम की मेहनत का परिणाम है, बल्कि शहरवासियों की जागरूकता और भागीदारी का भी प्रमाण है। इस वर्ष अहमदाबाद पहले और भोपाल दूसरे स्थान पर रहे हैं। वहीं लखनऊ की यह प्रगति सभी शहरों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है।
नगर निगम की योजनाओं का दिखा असर
नगर निगम लखनऊ द्वारा बीते एक वर्ष में सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कई अहम कदम उठाए गए। इनमें कूड़ा प्रबंधन, डोर-टू-डोर कलेक्शन, वार्ड स्तर पर नियमित सफाई, डिजिटल निगरानी, जागरूकता अभियान और जनभागीदारी को बढ़ावा देना प्रमुख रहा। इन योजनाओं ने न केवल शहर की छवि बदली, बल्कि लखनऊ को स्वच्छता में राष्ट्रीय मंच पर भी चमका दिया।
लक्ष्य अब नंबर-1 बनना: नगर निगम
मेयर सुषमा खर्कवाल और नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि यह तो सिर्फ शुरुआत है। अब हमारा लक्ष्य है कि लखनऊ को आने वाले वर्षों में देश का सबसे स्वच्छ शहर बनाया जाए। इसके लिए नगर निगम और प्रशासन पहले से भी अधिक योजनाबद्ध तरीके से कार्य करेंगे।
लखनऊ की रैंकिंग में 8 सालों का सफर
वर्ष | रैंकिंग |
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2017 | 269वीं |
2018 | 115वीं |
2019 | 121वीं |
2020 | 12वीं |
2021 | 12वीं |
2022 | 17वीं |
2023 | 44वीं |
2024 | 3वीं |
नगर निगम के अधिकारियों और पार्षदों ने इस उपलब्धि का श्रेय आम नागरिकों को देते हुए कहा कि लखनऊवासियों ने सफाई को लेकर अनुशासन दिखाया और प्रशासन का भरपूर सहयोग किया। खुले में कूड़ा फेंकने पर रोक, घर-घर कूड़े की छंटाई और सार्वजनिक स्थलों की स्वच्छता को लेकर जागरूकता ने इस अभियान को जन आंदोलन का रूप दिया। लखनऊ की यह सफलता एक संकेत है कि जब प्रशासन और जनता मिलकर कार्य करें, तो कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं होता। अब निगाहें अगले सर्वेक्षण पर टिकी हैं—जहां लखनऊ नंबर-1 की रेस में है।