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चंदौली, उत्तर प्रदेश – मंदिरों की भक्ति अब सिर्फ आस्था तक सीमित नहीं, बल्कि कारोबार और रोजगार की नई मिसाल बन चुकी है। उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के एक युवा कारोबारी ने अपने नवाचारी सोच से ऐसा मॉडल तैयार किया है, जिसने बनारस की गलियों से लेकर देश के अन्य हिस्सों तक पहचान बना ली है। यह मॉडल कोई सामान्य हस्तशिल्प नहीं, बल्कि श्रद्धा, शिल्प और स्मार्ट बिज़नेस का संगम है।
लकड़ी और फाइबर से बनते हैं काशी के मंदिर
चंदौली के इस नवोदित उद्यमी ने लकड़ी और फाइबर से काशी विश्वनाथ मंदिर समेत कई अन्य प्रसिद्ध मंदिरों के थ्री-डी मॉडल तैयार करने का काम शुरू किया। आधुनिक मशीनों की सहायता से यह मॉडल बेहद बारीकी और खूबसूरती से काटे और तराशे जाते हैं। इसके बाद इन्हें सजाया जाता है, जिससे वे देखने में आकर्षक, वास्तविक और श्रद्धा-से-परिपूर्ण लगते हैं।
हर महीने हजारों की डिमांड
बनारस आने वाले श्रद्धालुओं के बीच इन मंदिर मॉडलों की खासी लोकप्रियता है। हर माह 6 से 7 हजार पीस की डिमांड बनारस और अन्य शहरों से आती है। सबसे ज्यादा मांग काशी विश्वनाथ मंदिर मॉडल की है, लेकिन अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद अब राम मंदिर मॉडल की ऑर्डर पर डिमांड भी बढ़ती जा रही है।
हर वर्ग के लिए, हर कीमत में
इस कारोबार की खास बात यह है कि यह आम और खास दोनों वर्गों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है। इन मंदिर मॉडलों की कीमतें ₹50 से ₹2500 तक रखी गई हैं। कोई सस्ते दाम पर भक्ति का प्रतीक अपने घर ले जा सकता है, तो कोई इसे सजावटी और उपहार के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकता है।
सिर्फ कारोबार नहीं, स्थानीय रोजगार भी
इस पहल से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलने लगा है। इस उद्योग ने न केवल शिल्प कौशल को बढ़ावा दिया है, बल्कि क्षेत्रीय संस्कृति और पहचान को भी जीवंत रखा है। सभी मॉडल स्थानीय स्तर पर बनाए जाते हैं – कारीगरों की मेहनत, मशीनों की सटीकता और श्रद्धा का संगम इन मॉडलों को खास बनाता है।
धार्मिक भावना से जुड़ा कारोबार
यह कारोबार न केवल मुनाफे का जरिया है, बल्कि लोगों की धार्मिक भावना से भी गहराई से जुड़ा है। श्रद्धालु जब इन मॉडलों को घर ले जाते हैं, तो वह केवल सजावट का सामान नहीं होता, बल्कि उनके लिए एक आस्था, एक स्मृति और एक आशीर्वाद का प्रतीक बन जाता है।
कला, आस्था और कारोबार
चंदौली जिले के इस युवा ने यह साबित कर दिया है कि अगर विचार क्रिएटिव हो और उस पर मेहनत की जाए, तो भक्ति और बिज़नेस दोनों साथ चल सकते हैं। इस मॉडल कारोबार ने न केवल स्थानीय लोगों को पहचान और रोज़गार दिया है, बल्कि काशी की संस्कृति को देशभर के घरों तक पहुंचाने का माध्यम भी बना है।
Baten UP Ki Desk
Published : 24 July, 2025, 7:47 pm
Author Info : Baten UP Ki