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यूपी के इस शहर में मड़रा रहा है ईगल सिंड्रोम का खतरा! जानिए क्या हैं इसके कारण और इलाज...

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कानपुर – एक आम मगर खतरनाक बीमारी, जिसे ईगल सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है, ने कानपुर और आसपास के ग्रामीण इलाकों में तेजी से पैर पसार लिए हैं। हाल ही में कानपुर के उर्सला मेडिकल कॉलेज और केपीएम की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि 30-60 आयु वर्ग के लगभग 750 मरीजों में इस बीमारी का पता चला है। इनमें 60% मरीज महिलाएं हैं, जिससे यह समस्या और भी चिंताजनक हो जाती है।

क्या है ईगल सिंड्रोम?

ईगल सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें कान और जबड़े के पास मौजूद "स्टाइलॉयड प्रोसेस" नामक हड्डी असामान्य रूप से बढ़ जाती है। यह हड्डी आमतौर पर 2.5 सेंटीमीटर लंबी होती है, लेकिन जब यह बढ़कर जबड़े के नीचे से गुजरने वाली महत्वपूर्ण नसों पर दबाव डालती है, तो यह असहनीय दर्द का कारण बनती है। यह समस्या अगर समय पर इलाज न मिले, तो बड़ी स्वास्थ्य जटिलताओं का रूप ले सकती है।

लक्षण जो आपको सतर्क कर सकते हैं

ईगल सिंड्रोम के लक्षण पहचानने में आसान नहीं हैं, लेकिन ध्यान देने पर इनकी पहचान की जा सकती है:

  1. कान और जबड़े के आसपास लगातार दर्द, जो गर्दन और कंधे तक फैल सकता है।

  2. खाने में कठिनाई होना या गले में खाना फंसने का एहसास।

  3. कान में सीटी या अजीब आवाजें सुनाई देना।

यदि इन लक्षणों में से कोई भी नजर आए, तो तुरंत ईएनटी विशेषज्ञ से संपर्क करना जरूरी है।

क्या कहती है रिपोर्ट?

उर्सला मेडिकल कॉलेज और केपीएम की रिपोर्ट के अनुसार, ईगल सिंड्रोम के मरीजों में से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र के हैं। इसका कारण सीमित जागरूकता और समय पर इलाज की कमी माना जा रहा है।

इलाज और सावधानियां

ईगल सिंड्रोम का इलाज संभव है, लेकिन इसके लिए समय पर कदम उठाना बेहद जरूरी है। इलाज के विकल्पों में शामिल हैं:

  • दर्द प्रबंधन: दवाइयों के माध्यम से दर्द को नियंत्रित किया जा सकता है।

  • सर्जरी: बढ़ी हुई हड्डी को काटकर वापस सामान्य आकार में लाने की प्रक्रिया। यह उपाय अधिक गंभीर मामलों में अपनाया जाता है।

जागरूकता की जरूरत

डॉक्टरों के अनुसार, समय पर जांच और इलाज से मरीजों को इस समस्या से पूरी तरह छुटकारा मिल सकता है। ईगल सिंड्रोम को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को कदम उठाने की जरूरत है।

आप क्या कर सकते हैं?

अगर आप या आपके परिवार में किसी को उपरोक्त लक्षण नजर आते हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें। ईएनटी विशेषज्ञ से संपर्क करें और जरूरी जांच करवाएं। सही समय पर इलाज न सिर्फ दर्द से राहत दिला सकता है, बल्कि आपके जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर कर सकता है।

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