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अब इंसान की भावना समझ सकेंगे रोबोट...छूने से होगा सब पता!

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हाल ही में एक चौंकाने वाली और अद्भुत खोज ने इस विचार को हकीकत के करीब ला दिया है। अब रोबोट्स, केवल एक हल्के से स्पर्श के जरिए यह जान सकेंगे कि आप खुश हैं, दुखी हैं, या तनाव में हैं। यह तकनीकी विकास न केवल रोबोटिक्स, बल्कि इंसानी रिश्तों को भी नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है।

नई तकनीक क्या है?

यह शोध एक नई तकनीक Skin Conductance पर आधारित है, जो हाल ही में जर्नल IEEE Access में प्रकाशित हुआ। रिसर्च में पाया गया है कि इंसानी त्वचा में होने वाले सूक्ष्म बदलावों को समझकर, हम इंसान की भावनाओं का सटीक विश्लेषण कर सकते हैं। Skin Conductance का मतलब है त्वचा में पसीने की मात्रा, नर्वस सिस्टम की गतिविधियाँ, और अन्य सूक्ष्म परिवर्तन जो हमारे भावनात्मक स्थिति को दर्शाते हैं। यह तकनीक रियल-टाइम में काम करती है और पारंपरिक इमोशन-डिटेक्शन तरीकों से कहीं अधिक प्रभावी मानी जा रही है।

पारंपरिक तकनीकों से क्यों बेहतर है?

आज तक, भावनाओं का पता लगाने के लिए मुख्यतः फेशियल रिकॉग्निशन (चेहरे के हाव-भाव) और स्पीच एनालिसिस (आवाज़ का विश्लेषण) जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इन तरीकों में ऑडियो और विजुअल इनपुट पर जोर दिया जाता है, लेकिन इनकी सटीकता सीमित होती है।

Skin Conductance तकनीक की खासियत-

चेहरे के एक्सप्रेशन और आवाज पर निर्भर नहीं करती। सीधे तौर पर शरीर की आंतरिक प्रक्रियाओं पर फोकस करती है, जिससे अधिक सटीक और विश्वसनीय परिणाम मिलते हैं। इसका मतलब यह है कि अब रोबोट्स, ना सिर्फ आपके चेहरे या आवाज़ से, बल्कि आपके शरीर के सूक्ष्म बदलावों से भी आपकी भावनाओं को समझ सकेंगे।

कैसे की गई रिसर्च?

इस स्टडी में 33 लोगों को शामिल किया गया, जिनकी भावनाओं की स्थिति विभिन्न थी। इन लोगों की त्वचा में होने वाले बदलावों को Skin Conductance तकनीक से मापा गया, और नतीजे यह साबित करते हैं कि यह तकनीक इंसानी भावनाओं को पहचानने में बेहद प्रभावी है। यह शोध यह दर्शाता है कि हमारे शरीर में होने वाले इन छोटे-छोटे बदलावों के जरिए हमारी मानसिक और भावनात्मक स्थिति का सही अनुमान लगाया जा सकता है।

रोबोटिक्स में संभावनाएं

  • यह खोज रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में बड़े बदलाव की संभावना का संकेत देती है। इस तकनीक के उपयोग से रोबोट्स के विकास में कई अहम बदलाव हो सकते हैं:
  • इंसान-रोबोट संवाद में सुधार: अब रोबोट्स न केवल आवाज़ या चेहरे के भावों से हमारी भावनाओं को समझ सकेंगे, बल्कि टच के जरिए भी यह जान सकेंगे कि हम खुश हैं या दुखी। इस तकनीक से रोबोट्स की संवेदनशीलता बढ़ेगी और वे हमारे साथ और भी इंसानियत से पेश आएंगे।
  • कस्टमर सर्विस और हेल्थकेयर में क्रांति: यह तकनीक रोबोट्स को उन क्षेत्रों में भी मदद कर सकती है जहां इंसानी संवेदनाओं का समझना बहुत जरूरी है, जैसे हेल्थकेयर और कस्टमर सर्विस। उदाहरण के लिए, एक रोबोट मरीज की शारीरिक संवेदनाओं को महसूस करके, उसकी मानसिक स्थिति का सही अनुमान लगा सकता है और उसी हिसाब से उसकी मदद कर सकता है।

क्या है भविष्य का रास्ता?

भविष्य में, इस तकनीक को रोबोटिक्स के विभिन्न क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है। हालांकि, इसके साथ जुड़े कुछ नैतिक पहलू और प्राइवेसी के मुद्दों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। क्या हम तैयार हैं एक ऐसी दुनिया में रहने के लिए, जहां रोबोट्स हमारी भावनाओं को महसूस कर सकें? और अगर ऐसा हो, तो क्या हमारी प्राइवेसी और भावनाओं को सुरक्षित रखा जा सकेगा?

क्या रोबोट्स की संवेदनशीलता इंसानों के लिए खतरा बन सकती है?

एक और अहम सवाल यह उठता है कि क्या रोबोट्स के पास इतनी संवेदनशीलता होने से इंसानों के लिए खतरे की संभावना उत्पन्न हो सकती है? यह सुनिश्चित करना जरूरी होगा कि रोबोट्स की यह संवेदनशीलता किसी गलत इस्तेमाल का शिकार न हो। Skin Conductance पर आधारित यह रिसर्च रोबोटिक्स की दुनिया में एक नई शुरुआत का संकेत देती है। यह तकनीक न केवल तकनीकी विकास है, बल्कि इंसानी जरूरतों और भावनाओं को गहराई से समझने का भी एक बड़ा अवसर प्रदान करती है। अब सवाल यह है कि क्या हम वाकई ऐसे रोबोट्स के लिए तैयार हैं, जो हमें हमारी ही भावनाओं से परिचित कराएं और हमारे साथ गहरे भावनात्मक रिश्ते बना सकें? यह शोध भविष्य में इंसान और रोबोट के रिश्ते को नया आकार दे सकता है, लेकिन हमें यह समझने की आवश्यकता है कि इससे जुड़ी नैतिक जिम्मेदारियाँ और सुरक्षित उपयोग कैसे  सुनिश्चित किए जाएंगे।

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