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भारत-चीन सीमा पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध! क्या हैं इसके मायने?

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चीन तिब्बत की ऊंचाइयों पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की तैयारी में है, जो केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार नहीं होगा, बल्कि भारत और बांग्लादेश के लिए एक नई चुनौती भी पेश करेगा। यारलुंग जांगबो नदी पर बनने वाला यह मेगा प्रोजेक्ट बिजली उत्पादन में क्रांति ला सकता है, लेकिन इसके पारिस्थितिक और भू-राजनीतिक प्रभाव गंभीर चिंताओं को जन्म दे रहे हैं। आइए, इस महत्वाकांक्षी परियोजना के हर पहलू को गहराई से समझें और जानें कि यह भारत के लिए क्यों एक अहम मुद्दा है।

  • नदी का मोड़: भारत के लिए जल संकट की आशंका-

ब्रह्मपुत्र नदी, जिसे तिब्बत में यारलुंग जांगबो कहा जाता है, अरुणाचल प्रदेश से भारत में प्रवेश करती है। चीन का यह बांध नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित कर सकता है, जिससे भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में पानी की कमी हो सकती है।

  • चीन की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना

यह बांध चीन की 14वीं पंचवर्षीय योजना का हिस्सा है और इसे देश की सबसे बड़ी ढांचागत परियोजना कहा जा रहा है। इसके तहत 300 बिलियन किलोवाट-घंटे बिजली उत्पादन की क्षमता होगी।

  • 137 बिलियन डॉलर की मेगा परियोजना

चीन की इस परियोजना पर 137 बिलियन डॉलर का खर्च अनुमानित है, जो इसे विश्व की सबसे महंगी और बड़ी परियोजनाओं में शामिल करता है।

  • पारदर्शिता की कमी: भारत-बांग्लादेश की बढ़ती चिंताएं

चीन ने इस बांध को लेकर अब तक बहुत कम जानकारी साझा की है। यह पारदर्शिता की कमी भारत और बांग्लादेश के लिए अतिरिक्त चिंता का विषय बन रही है।

  • जल संकट और बाढ़ का खतरा

बांध के चलते भारत में जल आपूर्ति बाधित हो सकती है। इसके अलावा, पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने की क्षमता चीन को बाढ़ जैसी आपदाओं को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का मौका दे सकती है।

  • चीन पर निर्भरता का डर

नई दिल्ली को यह आशंका है कि यदि यह बांध पूरा हो जाता है, तो भारत को पानी के लिए चीन पर निर्भर रहना पड़ सकता है। इससे भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ सकता है।

  • भू-राजनीतिक दबाव: नदी पर नियंत्रण का खेल

इस परियोजना से चीन को ब्रह्मपुत्र के पानी पर नियंत्रण मिल सकता है, जिससे निचले इलाकों में जल संकट गहराने की आशंका है।

  • क्षेत्रीय सुरक्षा और बाढ़ का खतरा

यह बांध युद्ध जैसी स्थिति में चीन के लिए एक रणनीतिक हथियार बन सकता है, जिससे भारत के सीमा क्षेत्रों में अचानक बाढ़ लाई जा सकती है।

  • भारत की जवाबी रणनीति

भारत अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी पर खुद एक बड़े बांध की योजना बना रहा है। यह कदम चीन के इस प्रोजेक्ट का संतुलन बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

राजनयिक प्रयास: बातचीत और डेटा साझाकरण

18 दिसंबर को भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों की बैठक में इस परियोजना पर चर्चा हुई। भारत ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने और डेटा साझाकरण पर जोर दिया। चीन की इस बांध परियोजना ने भारत और बांग्लादेश की चिंताओं को बढ़ा दिया है। जल संसाधनों पर नियंत्रण और पारदर्शिता की कमी से भू-राजनीतिक तनाव गहराने की संभावना है। आने वाले समय में इस मुद्दे पर भारत की रणनीति और वैश्विक प्रयास बेहद महत्वपूर्ण होंगे।

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