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अब हर MBBS छात्र को गोद लेने होंगे टीबी मरीजों वाले परिवार! इस राज्य के मॉडल को अपनाएगा पूरा देश

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भारत सरकार ने तपेदिक (टीबी) उन्मूलन की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए पुडुचेरी के सफल टीबी नियंत्रण मॉडल को देशभर में लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। इस मॉडल की खास बात यह है कि हर मेडिकल छात्र को अपने प्रशिक्षण काल में तीन से पांच परिवारों को गोद लेकर उनके स्वास्थ्य पर लगातार निगरानी रखनी होती है। इस कार्यक्रम का सीधा मकसद है—टीबी जैसे संक्रमणों की समय रहते पहचान, इलाज और सामाजिक कलंक को खत्म करना।

पुडुचेरी बना देश का पहला रोल मॉडल

पुडुचेरी देश का पहला राज्य बना है जहां मेडिकल छात्रों को सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत परिवारों से सीधे जोड़ा गया है। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. कविता वासुदेवन बताती हैं कि यह कार्यक्रम छात्रों को सिर्फ मेडिकल ज्ञान ही नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का भी व्यावहारिक अनुभव देता है। डॉ. कविता के अनुसार, "पुडुचेरी में 10 मेडिकल कॉलेज हैं और हर साल 2,000 से अधिक छात्र करीब 10,000 परिवारों को गोद ले रहे हैं। छात्र न केवल टीबी की जांच कर रहे हैं, बल्कि इलाज में सहयोग देकर रोगियों के साथ भावनात्मक जुड़ाव भी बना रहे हैं।"

59% तक घटी संक्रमण दर

पुडुचेरी में इस मॉडल को अपनाने के बाद बीते नौ वर्षों में टीबी के नए मामलों में लगभग 59% की कमी आई है। 2015 की तुलना में 2024 में केवल 3,366 मामले सामने आए। हालांकि यहां की मृत्यु दर अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन इसका बड़ा कारण पड़ोसी राज्यों से आए गंभीर मरीजों की संख्या है।

हर दिन पहुंच रहे 15 से 20 नमूने

इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के ही प्रोफेसर डॉ. आनंद बताते हैं कि छात्र हर दिन 15-20 नमूने लेकर आते हैं और तुरंत जांच करवाकर आवश्यक इलाज की व्यवस्था करते हैं। इससे टीबी जैसी गंभीर बीमारी को फैलने से पहले ही रोका जा रहा है। डॉ. आनंद कहते हैं, "अगर देशभर में यह मॉडल लागू हो जाए तो मेडिकल छात्र टीबी उन्मूलन के सच्चे योद्धा बन सकते हैं। इससे न सिर्फ बीमारी को रोका जा सकता है, बल्कि डॉक्टरों की भूमिका अस्पताल से बाहर निकलकर समाज में गहराई तक पहुंच सकेगी।"

अब पूरे देश में लागू होगा मॉडल

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) ने पुडुचेरी के मॉडल को एक "बेस्ट प्रैक्टिस" के रूप में मानते हुए इसे देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में लागू करने की योजना बनाई है। आयोग का मानना है कि अगर हर मेडिकल छात्र को व्यावहारिक अनुभव के साथ सामाजिक जिम्मेदारी भी दी जाए, तो भारत 2025 तक टीबी मुक्त राष्ट्र बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ सकता है।

पुडुचेरी मॉडल बनेगा संक्रामक रोगों के खिलाफ राष्ट्रीय हथियार

पुडुचेरी का टीबी मॉडल दिखाता है कि जब डॉक्टर केवल इलाज तक सीमित न रहकर समुदाय से जुड़ते हैं, तो नतीजे कहीं ज्यादा सकारात्मक आते हैं। "डॉक्टर बनेंगे साथी" की इस सोच के साथ अगर यह पहल पूरे भारत में लागू होती है, तो यह न सिर्फ टीबी बल्कि अन्य संक्रामक रोगों के खिलाफ भी देश की बड़ी जीत साबित हो सकती है।

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