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अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत पर मंडराते हैं ये बड़े खतरे! क्या ISRO को भी हो सकता है खतरा?

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नासा ने हाल ही में एक शोध रिपोर्ट जारी कर अंतरिक्ष में मानव जीवन को लेकर गंभीर चिंताओं को उजागर किया है। "जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल एंड मॉलिक्यूलर मेडिसिन" में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर और मानसिक स्वास्थ्य पर पांच ऐसे बड़े खतरे हैं, जो लंबे समय तक मिशन पर जाने वाले क्रू के लिए जीवन पर भारी पड़ सकते हैं। खास बात यह है कि ये खतरे न केवल अमेरिकी मिशनों बल्कि भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन जैसे सभी मानव अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण चेतावनी हैं।

नासा की पहचान: पांच प्रमुख खतरे — "RIGDE"

नासा ने इन खतरों को एक संक्षिप्त रूप में RIGDE (Radiation, Isolation, Gravity change, Distance, Environment) के रूप में पहचाना है। आइए एक नजर डालते हैं इन पांचों जोखिमों पर:

विकिरण (Radiation): DNA को नुकसान का डर

पृथ्वी की सुरक्षात्मक ढाल से बाहर, अंतरिक्ष यात्रियों को खतरनाक ब्रह्मांडीय विकिरण और सौर कणों का सामना करना पड़ता है। ये विकिरण डीएनए को क्षति पहुंचाकर कैंसर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा सकते हैं। नासा इसके लिए उन्नत परखनली तकनीकों और विशेष सुरक्षा उपकरणों का विकास कर रहा है।

अकेलापन और तनाव (Isolation): मानसिक स्वास्थ्य सबसे बड़ी चुनौती

महीनों तक सीमित और अलग-थलग वातावरण में रहना, अंतरिक्ष यात्रियों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है। तनाव, डिप्रेशन और व्यवहार में बदलाव जैसे लक्षण देखे गए हैं। इसे दूर करने के लिए नासा वर्चुअल रियलिटी, एलईडी लाइटिंग और ‘स्पेस गार्डन’ जैसी तकनीकों का सहारा ले रहा है।

गुरुत्वाकर्षण में बदलाव (Gravity Change): शरीर पर असर

अंतरिक्ष में भारहीनता से लेकर मंगल ग्रह के कम गुरुत्वाकर्षण और फिर पृथ्वी के सामान्य गुरुत्वाकर्षण तक की यात्रा शरीर को भारी तनाव में डालती है। इससे आंखों की दृष्टि, संतुलन और रक्त प्रवाह प्रभावित होता है। समाधान के लिए "थाई कफ" और "नेगेटिव प्रेशर सूट" जैसे उपकरणों का विकास किया गया है।

दूरी और संचार में विलंब (Distance): निर्णय लेने की क्षमता पर असर

मंगल जैसे मिशनों में पृथ्वी से तत्काल संपर्क संभव नहीं होता। संचार में विलंब से न केवल निर्णय प्रक्रिया प्रभावित होती है, बल्कि मनोवैज्ञानिक दबाव भी बढ़ जाता है। इससे मिशन संचालन में जटिलताएं आ सकती हैं।

प्रतिकूल वातावरण और सूक्ष्मजीव (Hostile Environment): संक्रमण का खतरा

अंतरिक्ष यान के बंद वातावरण में सूक्ष्मजीवों के तेजी से फैलने की आशंका बनी रहती है। इससे संक्रमण और बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। नासा नियमित रूप से सतहों, जल, हवा और अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर के नमूनों की जांच करता है ताकि किसी भी जैविक खतरे को समय रहते पहचाना जा सके।

ISRO के गगनयान मिशन के लिए चेतावनी और मौका

भारत भी अब मानव अंतरिक्ष मिशन के क्षेत्र में उतरने जा रहा है। ISRO का गगनयान मिशन इसी दिशा में बड़ी छलांग माना जा रहा है। ऐसे में नासा की यह रिपोर्ट इसरो के लिए बेहद उपयोगी हो सकती है। यदि भारत इन खतरों को समय रहते समझकर रणनीति तैयार करता है, तो गगनयान मिशन न केवल सफल हो सकता है, बल्कि अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक मिसाल बन सकता है।

तकनीक के साथ शरीर और मन की भी परीक्षा

नासा का यह शोध यह साबित करता है कि अंतरिक्ष में केवल तकनीक नहीं, बल्कि मानव शरीर और मन की भी परीक्षा होती है। ऐसे में भविष्य के मिशनों की सफलता इस बात पर भी निर्भर करेगी कि हम वैज्ञानिक आधार पर इन जोखिमों से निपटने के कितने तैयार हैं। ISRO के लिए यह एक मौका है कि वह नासा की इन सिफारिशों को अपनाकर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित और स्वस्थ अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव दिला सके।

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