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यूपी में स्कूल मर्जर पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला! क्या अब एक ही छत के नीचे पढ़ेंगे बच्चे?

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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के विलय के निर्णय को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस फैसले को चुनौती देने वाली दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिससे सरकार को इस मामले में बड़ी राहत मिली है।

क्या था मामला?

सीतापुर जिले के कुछ प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले 51 छात्रों की ओर से दाखिल याचिका में, बेसिक शिक्षा विभाग के 16 जून 2024 को जारी उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें छात्रों की संख्या के आधार पर प्राथमिक स्कूलों को उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में मर्ज करने का प्रावधान था।

याचियों ने इस आदेश को “बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार” का उल्लंघन बताते हुए रद्द करने की मांग की थी। साथ ही यह भी कहा गया कि मर्जर से छोटे बच्चों को दूर स्कूल जाना पड़ेगा, जिससे असुविधा और ड्रॉपआउट की आशंका बढ़ जाएगी।

सरकार ने क्या कहा?

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि यह फैसला शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और संसाधनों के बेहतर उपयोग के उद्देश्य से लिया गया है। सरकार ने बताया कि राज्य में ऐसे 18 प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां एक भी छात्र नामांकित नहीं है। इन स्कूलों को पास के स्कूलों में मर्ज करके वहां मौजूद शिक्षकों, कक्षाओं और सुविधाओं का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम बच्चों के हित में उठाया गया है और किसी भी छात्र के शिक्षा अधिकार का हनन नहीं होगा।

क्या है कोर्ट का फैसला?

न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे सोमवार को सुनाया गया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विलय का आदेश कानूनी रूप से सही है और सरकार की मंशा संसाधनों के बेहतर उपयोग और गुणवत्ता सुधार की है, ना कि शिक्षा के अधिकार का हनन।

क्या होगा अब?

इस फैसले के बाद राज्य सरकार अब स्कूलों के मर्जर की प्रक्रिया को सुचारु रूप से आगे बढ़ा सकेगी। शिक्षा विभाग अब उन स्कूलों की सूची तैयार करेगा जहां छात्रों की संख्या नगण्य है या बिल्कुल नहीं है और उन्हें समीपस्थ उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में विलय किया जाएगा।

अब ज़मीनी असर पर टिकी सबकी निगाहें

हाईकोर्ट के इस फैसले ने एक ओर सरकार को कानूनी राहत दी है, वहीं शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव की संभावनाएं भी खोली हैं। अब देखना होगा कि इस मर्जर प्रक्रिया का ज़मीनी स्तर पर बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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