कभी BRICS की सबसे कमजोर कड़ी माने जाने वाला भारत अब इस बहुराष्ट्रीय मंच का सबसे मजबूत स्तंभ बनकर उभरा है। GDP ग्रोथ हो या औद्योगिक विकास, भारत ने ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे साथी देशों को पीछे छोड़ते हुए न केवल आर्थिक मोर्चे पर शानदार प्रदर्शन किया है, बल्कि अब BRICS शिखर सम्मेलनों में एजेंडा तय करने वाला एक निर्णायक देश बन चुका है।
एक दशक में पलटा भारत का गेम
वर्ष 2012-13 तक भारत विदेशी कर्ज, दोहरे अंकों की महंगाई और कमजोर निवेश माहौल से जूझ रहा था। यहां तक कि कुछ विशेषज्ञों ने भारत की जगह ब्रिक्स में इंडोनेशिया को शामिल करने की सलाह तक दे डाली थी। लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत की विदेश और आर्थिक नीति में जिस तरह से बदलाव आया, उसने भारत की वैश्विक छवि पूरी तरह बदल दी।
भारत की ग्रोथ स्टोरी बनी ग्लोबल इंस्पिरेशन
आज भारत ब्रिक्स के अंदर सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। IMF, मॉर्गन स्टैनली और HSBC जैसे वैश्विक वित्तीय संस्थान भारत को ‘आशा की किरण’ बता चुके हैं। वर्ष 2024 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी भारत की आर्थिक प्रगति को ब्रिक्स के लिए “मिसाल” कहा।
भारत का बढ़ता प्रभाव: एजेंडा भी भारत तय कर रहा
आतंकवाद विरोधी कार्रवाई से लेकर डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) जैसे विषयों को BRICS के एजेंडे में लाने का श्रेय भारत को जाता है। 2021 में 13वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए भारत ने आतंकवाद-विरोधी कार्य योजना को मंजूरी दिलवाई, जिसमें खुफिया साझा करने, साइबर निगरानी और आतंकवाद के फंडिंग नेटवर्क को तोड़ने जैसे ठोस कदम शामिल थे। भारत की पहल पर ब्रिक्स स्टार्टअप फोरम और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) जैसे नए सहयोग मॉडल भी शुरू किए गए, जो भारत के नवाचार आधारित विकास दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।
अब अगला शिखर सम्मेलन भारत में
2025 में होने वाला ब्रिक्स का अगला शिखर सम्मेलन भारत में आयोजित किया जाएगा। यह भारत की कूटनीतिक स्वीकार्यता और नेतृत्व की पुष्टि करता है। वर्तमान में ब्रिक्स के 11 सदस्य हैं—ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका के अलावा 2024 में शामिल हुए मिस्र, ईरान, इथियोपिया, यूएई और 2025 में शामिल हुआ इंडोनेशिया।हालांकि इस वर्ष ब्रिक्स सम्मेलन रियो में आयोजित हो रहा है, जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल नहीं हो रहे हैं।
भारत बना उभरती अर्थव्यवस्थाओं का रोल मॉडल
कमजोर बुनियाद से उठकर अब भारत न केवल BRICS का नेतृत्व कर रहा है, बल्कि वैश्विक दक्षिण की आवाज़ भी बन चुका है। भारत की यह आर्थिक और कूटनीतिक यात्रा दुनिया के लिए एक मिसाल है—कि अगर दिशा और नेतृत्व सही हो, तो दशा को भी बदला जा सकता है।