बड़ी खबरें

भारत ने ईरान-इजराइल के बीच सीजफायर का किया स्वागत 11 घंटे पहले ईरानी हमलों से इजराइल में 28 लोगों की मौत, 3000 से ज्यादा घायल 11 घंटे पहले ट्रम्प बोले- चीन अब ईरान से तेल खरीदना जारी रख सकता है 11 घंटे पहले इजराइली हमले में ईरानी सेना IRGC के इंटेलिजेंस डिप्टी चीफ की मौत 11 घंटे पहले IND vs ENG test match: दूसरे सत्र में भारत को मिले चार विकेट 10 घंटे पहले

दुनिया का सबसे कीमती खजाना जिस पर है चीन का कब्जा! इन पर टिकी है पूरी दुनिया की टेक्नोलॉजी...

Blog Image

इलेक्ट्रिक वाहन, फाइटर जेट, स्मार्टफोन और LED स्क्रीन—इन तमाम अत्याधुनिक तकनीकों के पीछे एक साझा आधार है: रेयर अर्थ एलिमेंट्स (Rare Earth Elements)। ये 17 रासायनिक तत्व तकनीकी विकास के छोटे लेकिन बेहद अहम स्तंभ हैं। हालांकि इनकी उपलब्धता वैश्विक है, लेकिन उत्पादन और प्रोसेसिंग के मामले में चीन की मोनोपोली ने एक नई भू-राजनीतिक चुनौती खड़ी कर दी है।

चीन की पकड़ और वैश्विक निर्भरता

वर्तमान में दुनिया के करीब 70% रेयर अर्थ एलिमेंट्स का खनन चीन में होता है, जिनमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी इनर मंगोलिया स्थित बायन ओबो (Bayan Obo) खान की है। यही नहीं, इन खनिजों को शुद्ध (Refine) कर उपयोगी बनाने की प्रक्रिया भी मुख्य रूप से चीन में ही होती है। इससे चीन केवल कच्चे माल का ही नहीं, बल्कि मैग्नेट निर्माण में उपयोग होने वाले संसाधनों का भी प्रमुख सप्लायर बन गया है।

क्यों इतने जरूरी हैं ये दुर्लभ तत्व?

रेयर अर्थ एलिमेंट्स का सबसे अहम उपयोग स्थायी चुम्बकों (Permanent Magnets) के निर्माण में होता है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों, विंड टर्बाइनों और रक्षा तकनीक जैसे लड़ाकू विमानों में लगाए जाते हैं। इनमें प्रमुख हैं – नियोडिमियम (Neodymium) और प्रासोडिमियम (Praseodymium), जिनकी कीमतें क्रमशः €55/kg और टर्बियम (Terbium) की €850/kg तक पहुंच जाती हैं।

पश्चिमी देशों की बढ़ती चिंता

चीन के दबदबे से अमेरिका और यूरोपीय संघ में आशंका है कि चीन भविष्य में इन खनिजों की आपूर्ति को रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है। इसीलिए, दोनों क्षेत्रों ने अपने खनन और उत्पादन तंत्र को मज़बूत करने की दिशा में प्रयास तेज कर दिए हैं।

  • यूरोपीय संघ ने 2024 में Critical Raw Materials Act पास कर 2030 तक आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य तय किया है।

  • अमेरिका ने 2020 से ही "Mine-to-Magnet" मॉडल पर भारी निवेश शुरू किया है, ताकि पूरी सप्लाई चेन देश के भीतर तैयार हो।

वैकल्पिक स्रोतों की खोज

ग्लोबल सप्लाई वैरायटी लाने के लिए अमेरिका ने यूक्रेन और ग्रीनलैंड में संभावनाएं तलाशनी शुरू की हैं, जहां इन धातुओं के बड़े भंडार हैं। हालांकि, वहां खनन की जटिलताएं और राजनीतिक अस्थिरता फिलहाल चुनौती बनी हुई हैं।

दुर्लभ तत्वों पर वैश्विक निर्भरता और चीन की पकड़

रेयर अर्थ एलिमेंट्स अब केवल तकनीक की जरूरत नहीं, बल्कि रणनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता का प्रतीक बन चुके हैं। आने वाले वर्षों में यह स्पष्ट होगा कि दुनिया चीन की मौजूदा मैनोपॉली से किस हद तक मुक्त हो पाती है, और क्या अमेरिका व यूरोप अपनी वैकल्पिक रणनीतियों को सफल बना पाते हैं।

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें