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होर्मुज स्ट्रेट पर ईरान की धमकी से बढ़ी वैश्विक चिंता! क्या थम जाएगी दुनिया की तेल सप्लाई?

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अगर ईरान ने होर्मुज स्ट्रेट बंद किया, तो दुनिया के हर पांच में से एक तेल टैंकर की रफ्तार रुक जाएगी। बिजली, पेट्रोल और इकॉनमी सब झटका खा सकते हैं।" यही चेतावनी अब विशेषज्ञ और रणनीतिकार दे रहे हैं, क्योंकि ईरान ने अमेरिका की बमबारी के जवाब में इस प्रमुख जलमार्ग को बंद करने की धमकी दी है।

क्या है होर्मुज स्ट्रेट?

होर्मुज स्ट्रेट फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ने वाला एक बेहद संकरा जलमार्ग है। उत्तर में ईरान, दक्षिण में ओमान और UAE की सीमाएं हैं। यह स्ट्रेट महज 33 किमी चौड़ा है, लेकिन यही दुनिया की 20% तेल सप्लाई का गेटवे है।

क्यों है ये रास्ता इतना अहम?

हर दिन 1.8 से 2 करोड़ बैरल तेल होर्मुज के रास्ते दुनिया तक पहुंचता है। सऊदी अरब, ईराक, कुवैत, UAE और ईरान — सभी इस रूट से तेल निर्यात करते हैं। 2022 में यहां से गुजरने वाला 82% तेल एशियाई देशों तक पहुंचा। चीन का 90% और भारत का एक बड़ा हिस्सा इसी रूट पर निर्भर है।

ईरान की धमकी और रणनीति

13 जून को इजराइल और 22 जून को अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमलों के बाद, ईरानी संसद ने होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। बंद करने के दो प्रमुख रास्ते हो सकते हैं:

  • सी-माइन्स लगाकर जलमार्ग अवरुद्ध करना

  • IRGC के जरिए कमर्शियल शिप्स पर हमला करना या कब्जा जमाना

हालांकि, यह कदम आसान नहीं होगा क्योंकि अमेरिका का 5वां नेवी फ्लीट बहरीन में तैनात है और अन्य पश्चिमी देशों की गश्त भी जारी है।

अगर होर्मुज बंद हुआ, तो क्या होगा?

  • तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं

  • शेयर बाजारों में भारी गिरावट संभव

  • ग्लोबल सप्लाई चेन को बड़ा झटका लगेगा

  • सऊदी, UAE और कुवैत जैसे एक्सपोर्टर देश भी आर्थिक संकट में फंस सकते हैं

  • चीन और भारत जैसे बड़े उपभोक्ताओं को वैकल्पिक स्रोत तलाशने पड़ेंगे

JNU के प्रोफेसर लक्ष्मण बेहरा के अनुसार, "भारत की एनर्जी सुरक्षा पर इसका सीधा असर पड़ेगा, खासकर सऊदी और इराक से आने वाली सप्लाई पर।"

क्या चीन इस विवाद को रोक सकता है?

ईरान का सबसे बड़ा तेल खरीदार चीन है, और वही सबसे अधिक प्रभावित भी होगा। अमेरिका अब चीन पर दबाव बना रहा है कि वह ईरान को होर्मुज बंद करने से रोके। चीन के विदेश मंत्रालय ने भी संकेत दिया है कि "फारस की खाड़ी में स्थिरता पूरी दुनिया के हित में है।"

भारत क्या कर सकता है?

भारत के पास विकल्प हैं, लेकिन चुनौतीपूर्ण:

  • रूस, ब्राजील, अफ्रीका से तेल आयात बढ़ाना

  • स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व्स (SPR) का इस्तेमाल

  • नौसैनिक सुरक्षा बढ़ाना

  • कूटनीतिक मोर्चे पर UN, G20 और IMO के जरिये दबाव

क्या पहले भी हो चुकी है ऐसी स्थिति?

हां, 1980 के दशक के 'टैंकर वॉर' में ईरान और इराक ने होर्मुज के रास्ते एक-दूसरे की तेल सप्लाई को निशाना बनाया था। 2019 और 2023 में भी ईरान ने टैंकर जब्त किए या ड्रोन्स गिराए।

क्या हैं वैकल्पिक रास्ते?

UAE और सऊदी अरब ने बायपास पाइपलाइनों का निर्माण किया है, लेकिन वे होर्मुज की कुल क्षमता का केवल हिस्सा ही संभाल सकते हैं। पूरी वैश्विक मांग को ये नहीं पूरा कर सकते।

क्या दुनिया के इंजन थम सकते हैं?

होर्मुज स्ट्रेट सिर्फ एक जलमार्ग नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की नाड़ी है। ईरान की धमकी अब सिर्फ क्षेत्रीय तनाव नहीं, बल्कि ग्लोबल एनर्जी सिक्योरिटी का खतरा बन चुकी है। अब सवाल सिर्फ ये नहीं कि ईरान क्या करेगा — सवाल ये है कि दुनिया इसके लिए कितनी तैयार है?

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