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कोरोना की हार तय? भारत ने खोजी ऐसी दवा, जिस पर वायरस 50 बार भी नहीं बच पाया!

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कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारत ने एक और ऐतिहासिक छलांग लगाई है। भारतीय वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दवा खोज निकाली है जो कोरोना वायरस को एक साथ तीन स्तरों पर निष्क्रिय कर देती है और अब तक की सबसे टिकाऊ एंटीवायरल मानी जा रही है।

भारत-बेल्जियम वैज्ञानिक साझेदारी से मिली कामयाबी

इस शोध में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) और नेशनल सेंटर फॉर वेटरनरी टाइप कल्चर के साथ-साथ बेल्जियम के वैज्ञानिकों ने भी योगदान दिया है। यह शोध बायोरेक्सिव जर्नल में प्री-प्रिंट के रूप में प्रकाशित हुआ है और जल्द ही मानव परीक्षण के लिए तैयार किया जा रहा है।

दवा की खासियत – एक साथ तीन स्तरों पर हमला

NIV के निदेशक डॉ. नवीन कुमार ने बताया कि SB 431542 नामक यह दवा वायरस पर तीन तरह से असर डालती है:

  1. कोशिकाओं में घुसने से रोकती है – यह दवा TGF-Beta प्रोटीन के रास्ते को अवरुद्ध करती है, जिससे वायरस का प्रवेश रुक जाता है।

  2. वायरल असेंबली फेल करती है – यह दवा वायरस के ORF 3a प्रोटीन से चिपक जाती है और उसकी रणनीति को निष्फल करती है।

  3. एपोप्टोसिस प्रक्रिया रोकती है – वायरस जब कोशिकाओं को तोड़कर बाहर आता है, तो यह दवा उस प्रक्रिया को भी रोक देती है।

50 बार संपर्क के बाद भी नाकाम हुआ वायरस

इस शोध की सबसे चौंकाने वाली उपलब्धि यह है कि SB 431542 के संपर्क में वायरस को लगातार 50 बार रखा गया, लेकिन फिर भी उसने कोई प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं की। यह उन दवाओं की तुलना में कहीं अधिक प्रभावशाली है जिनके खिलाफ वायरस समय के साथ बचाव विकसित कर लेता है — जैसे कि रेमडेसिवीर

चूहों में परीक्षण सफल, अब इंसानों की बारी

शोधकर्ताओं ने इस दवा का परीक्षण चूहों के भ्रूणों पर किया, जिसमें यह चिकन कोरोना वायरस पर भी अत्यधिक असरदार साबित हुई। जल्द ही देश के विभिन्न अस्पतालों में इस दवा का मानव परीक्षण शुरू किया जाएगा।

कोरोना के खिलाफ जंग में भारत की सबसे बड़ी जीत

डॉ. कुमार कहते हैं, “SB 431542 केवल वायरस पर नहीं, बल्कि उस ‘जैविक रास्ते’ पर भी वार करती है जिससे वायरस हमारी कोशिकाओं का शोषण करता है। यह एक दोहरी मार है।"
उन्होंने कहा कि अगर इंसानों पर परीक्षण सफल होते हैं, तो यह दवा न केवल कोविड-19 बल्कि भविष्य के किसी भी कोरोना वायरस के खिलाफ एक क्रांतिकारी हथियार बन सकती है।

क्या है आगे की राह?

  • इंसानी परीक्षण के बाद अगर यह दवा सफल पाई जाती है, तो यह भारत की पहली ऐसी एंटीवायरल होगी जो विश्व मंच पर कोरोना के खिलाफ स्वदेशी समाधान के रूप में उभरेगी।

  • स्वास्थ्य मंत्रालय की निगरानी में अब परीक्षणों की तैयारियाँ शुरू की जा रही हैं।

विज्ञान की विजय

SB 431542 की खोज दिखाती है कि जब वैज्ञानिक एकजुटता, स्थानीय अनुसंधान, और दृढ़ इच्छाशक्ति साथ आते हैं, तो हम किसी भी वैश्विक महामारी को चुनौती दे सकते हैं। कोरोना की कहानी भले ही लंबी रही हो, लेकिन अब भारत के वैज्ञानिकों ने इसका एक निर्णायक अध्याय लिख दिया है।

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