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भारत बनाम इंडिया: क्या देश के नाम में बदलाव जरूरी है?

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देश के नाम को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है—क्या हमारा आधिकारिक नाम "भारत" होना चाहिए या "इंडिया"? यह बहस केवल एक भाषाई मुद्दा नहीं है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान और ऐतिहासिक धरोहर से जुड़ा एक महत्वपूर्ण प्रश्न भी है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

"भारत" कोई साधारण नाम नहीं है, बल्कि यह हमारी हजारों साल पुरानी सभ्यता की पहचान है। वेदों में "भारतवर्ष" का उल्लेख मिलता है, जिसका संबंध भरत वंश से जोड़ा जाता है। महाभारत और विष्णु पुराण जैसे ग्रंथों में भी पूरे उपमहाद्वीप को "भारतवर्ष" कहा गया है। मौर्य और गुप्त साम्राज्य के दौरान भी "भारत" नाम का व्यापक उपयोग होता था।

"इंडिया" नाम की उत्पत्ति

"इंडिया" नाम यूनानी और फ़ारसी स्रोतों से आया है, जहां "सिंधु" नदी को "इंडस" कहा गया। अंग्रेजों ने हमारे देश को "इंडिया" नाम दिया और हमें "इंडियंस" बना दिया। 200 वर्षों की गुलामी के दौरान यह नाम हमारी पहचान बन गया, लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह वास्तव में हमारी आत्मा को दर्शाता है?

संविधान और नामकरण विवाद

संविधान सभा में देश के नाम को लेकर गहन बहस हुई थी। कुछ नेताओं की राय थी कि सिर्फ "भारत" नाम होना चाहिए, जबकि कुछ "इंडिया" को भी बनाए रखना चाहते थे। अंततः संविधान में समझौता हुआ और अनुच्छेद 1 में लिखा गया: "India, that is Bharat, shall be a Union of States."

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बहस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार जब "भारत" नाम को प्राथमिकता दे रही है, तो इस पर राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी इस विषय को उठा चुका है। RSS महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने हाल ही में कहा, "अंग्रेजी में इंडिया लिखा जाता है, लेकिन भारतीय भाषाओं में भारत। यह सवाल उठाया जाना चाहिए और इसे ठीक किया जाना चाहिए। अगर देश का नाम भारत है, तो इसे उसी रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए।"

समाज में नाम को लेकर धारणा

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों और आम जनता में "भारत" नाम का गहरा प्रभाव है। दूसरी ओर, अंग्रेजी बोलने वाला तबका "इंडिया" नाम से अधिक परिचित है। यदि हम आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं और अपनी सांस्कृतिक विरासत को महत्व दे रहे हैं, तो क्या हमें अपने नाम को भी आत्मनिर्भर नहीं बनाना चाहिए?

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव

यदि भारत अपने आधिकारिक नाम से "इंडिया" को हटाकर केवल "भारत" कर देता है, तो इसके कई प्रभाव होंगे:

  • संयुक्त राष्ट्र (UN), विश्व बैंक (IMF) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में "इंडिया" के स्थान पर "भारत" को पंजीकृत कराना होगा।

  • पासपोर्ट, मुद्रा, सरकारी अनुबंधों और अन्य आधिकारिक दस्तावेजों में बदलाव करना पड़ेगा।

  • "Make in India", "Incredible India" जैसे ब्रांड्स का नाम भी परिवर्तित करना होगा।

क्या नाम बदलना संभव है?

तुर्की ने अपना नाम बदलकर "तुर्किये" कर लिया, पर्शिया "ईरान" बन गया, तो क्या भारत को "भारत" बनने से कोई रोक सकता है? यह प्रश्न अब केवल कानूनी या प्रशासनिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय पहचान से जुड़ा मुद्दा बन चुका है।

देश के नाम को लेकर मतभेद स्वाभाविक हैं।

✅ क्या हमें अपनी जड़ों से जुड़कर "भारत" नाम को अपनाना चाहिए?

✅ या फिर "इंडिया" को एक वैश्विक पहचान के रूप में बनाए रखना चाहिए?

यह बहस सिर्फ शब्दों की नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा से जुड़ी है। अब फैसला हमें करना है कि हम अपने देश को किस नाम से देखना चाहते हैं—"भारत" या "इंडिया"?

 

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