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अगर उपराष्ट्रपति बीच में ही इस्तीफा दे दे...तो क्या होता है? जानिए पूरा संवैधानिक प्रोसेस

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देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बड़ा बदलाव देखने को मिला है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने कार्यकाल के बीच में इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया। वे भारत के इतिहास में ऐसे तीसरे उपराष्ट्रपति बने जिन्होंने कार्यकाल पूरा होने से पहले पद छोड़ा। इससे पहले वी.वी. गिरी और आर. वेंकटरमन भी इस तरह इस्तीफा दे चुके हैं। अब सवाल उठता है कि क्या अगला उपराष्ट्रपति चुना जाएगा? कब होगा चुनाव? और कौन कर रहा है दावेदारी? आइए समझते हैं पूरा संवैधानिक और चुनावी गणित...

कौन संभालेगा कार्यभार?

भारत के संविधान में “कार्यवाहक उपराष्ट्रपति” का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। लेकिन चूंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, ऐसे में उनकी अनुपस्थिति में उपसभापति सदन की जिम्मेदारी संभालते हैं। वर्तमान में हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा के उपसभापति हैं और वे ही फिलहाल सदन की कार्यवाही की निगरानी करेंगे।

चुनाव की समयसीमा क्या है?

उपराष्ट्रपति के कार्यकाल के बीच में इस्तीफे की स्थिति में कोई निर्धारित समयसीमा नहीं है, जबकि कार्यकाल पूरा होने की स्थिति में 60 दिन के भीतर चुनाव जरूरी होता है।
अब चुनाव आयोग इसकी तारीखों का ऐलान करेगा, जो कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 के तहत आयोजित किया जाएगा।

किस प्रकार होता है चुनाव?

  • निर्वाचक मंडल: केवल संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्य इस चुनाव में हिस्सा लेते हैं। राज्य विधानसभाएं इसमें भाग नहीं लेतीं।

  • मतदान प्रणाली: आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत एकल संक्रमणीय मत से गोपनीय बैलट के जरिए चुनाव होता है।

  • हर सांसद उम्मीदवारों को वरीयता के आधार पर अंकित करता है।

  • किसी उम्मीदवार के विजयी होने के लिए जरूरी वोटों की गणना:
    कुल वैध वोटों ÷ 2 + 1 = जीत का कोटा यदि पहले राउंड में कोई उम्मीदवार कोटा नहीं छूता तो सबसे कम वोट पाने वाले को हटाकर उनके वोट दूसरी वरीयता वाले उम्मीदवार को ट्रांसफर किए जाते हैं।

कौन हो सकता है उम्मीदवार?

  • भारतीय नागरिक होना चाहिए

  • न्यूनतम आयु 35 वर्ष

  • राज्यसभा के लिए योग्य होना चाहिए

  • किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए

  • किसी भी संसदीय क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत होना जरूरी

मतगणना और परिणाम

मतदान के तुरंत बाद बैलट बॉक्स की गिनती होती है और उसी दिन परिणाम घोषित कर दिए जाते हैं। लोकसभा महासचिव इस चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर की भूमिका निभाते हैं।

राजनीतिक समीकरण क्या कहता है?

फिलहाल संसद में कुल 782 निर्वाचक हैं –

  • लोकसभा: 542 सदस्य

  • राज्यसभा: 240 सदस्य

  • बहुमत का आंकड़ा: 392 वोट

एनडीए के पास कुल 425 सांसद हैं (लोकसभा: 293, राज्यसभा: 134, मनोनीत सदस्य: 10) विपक्ष के पास 355 सांसद हैं (लोकसभा: 249, राज्यसभा: 106) इन आंकड़ों को देखते हुए यह साफ है कि अगर एनडीए एकजुट रहा, तो उसका उम्मीदवार उपराष्ट्रपति पद पर काबिज हो सकता है।

उपराष्ट्रपति पद की दौड़ शुरू, किसका पलड़ा रहेगा भारी?

धनखड़ के इस्तीफे ने जहां एक ओर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, वहीं दूसरी ओर एक नए चुनाव की आहट भी सुनाई दे रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सत्ता पक्ष किसे उम्मीदवार बनाता है और विपक्ष की रणनीति क्या होगी। संविधान, प्रक्रिया और राजनीति—तीनों का संगम अब एक अहम फैसले की ओर बढ़ रहा है।

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