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यूपी में गायों से आएगा विकास का रंग...इन इमारतों पर चढ़ेगा 'गोबर का पेंट'!

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उत्तर प्रदेश सरकार निराश्रित गोवंश संरक्षण केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को हुई पशुपालन एवं दुग्ध विकास विभाग की समीक्षा बैठक में निर्देश दिए कि सरकारी भवनों में अब गोबर से बने प्राकृतिक पेंट का उपयोग किया जाए। इससे न केवल पर्यावरण को लाभ मिलेगा, बल्कि गो आश्रय स्थलों को भी आर्थिक रूप से सशक्त किया जा सकेगा।

गोबर से बने पेंट को मिलेगा संस्थागत प्रोत्साहन

मुख्यमंत्री ने कहा कि देसी गायों के संरक्षण और उनके गो-उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में प्लांट्स की संख्या बढ़ाई जाएगी। इससे गो आश्रय केंद्रों में रहने वाले निराश्रित गोवंश से प्राप्त गोबर का व्यावसायिक उपयोग संभव हो सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि गाय के गोबर से तैयार पेंट पूरी तरह प्राकृतिक और टिकाऊ है, जो पर्यावरण के अनुकूल है।

गांव, गोवंश और अर्थव्यवस्था: तीनों को जोड़ने वाली नीति

योगी आदित्यनाथ ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन और दुग्ध उत्पादन की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि यह क्षेत्र महिला सशक्तिकरण, पोषण सुरक्षा और रोजगार सृजन का भी माध्यम बन सकता है। इसके लिए तकनीक, निवेश और नवाचार को प्रोत्साहित किया जाएगा।

आत्मनिर्भरता की ओर गो आश्रय केंद्र

वर्तमान में प्रदेश के 7693 गो आश्रय स्थलों में 11.49 लाख गोवंश संरक्षित हैं। इनमें से वाराणसी और मुजफ्फरनगर में आत्मनिर्भरता के लिए बायोगैस प्लांट लगाए जा रहे हैं, जबकि बरेली में गोबर से जैविक खाद और गोमूत्र से औषधीय उत्पाद बनाने के लिए प्रसंस्करण संयंत्र की स्थापना हो रही है। अब तक 40,968 हेक्टेयर गोचर भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराया जा चुका है।

दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी, नए लक्ष्य भी तय

वर्ष 2024-25 में 3.97 लाख लीटर प्रतिदिन दुग्ध उपार्जन दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10% अधिक है।

  • 8% की वृद्धि के साथ समितियों की सदस्यता बढ़ी है।

  • 24,000 से अधिक दुग्ध उत्पादकों को प्रशिक्षण मिला है।

  • आगामी वर्ष 2025-26 में 4,922 नई सहकारी दुग्ध समितियों के गठन और 21,922 समितियों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है।

मुख्यमंत्री की दो टूक – गोवंश सहभागिता से जोड़ें गरीब परिवारों को

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि जिन गरीब परिवारों के पास पशुधन नहीं है, उन्हें "मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना" के तहत गायें उपलब्ध कराई जाएं। इसके साथ ही, गो आश्रय केंद्रों में भूसा बैंक, केयर टेकर, पानी और हरे चारे की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए हैं।

पुरस्कार और प्रतियोगिताएं भी होंगी आयोजित

योगी सरकार अब मंडल स्तर पर देसी नस्ल की गायों और गो उत्पाद बनाने वाले संस्थानों के बीच प्रतियोगिताएं आयोजित करेगी। साथ ही, श्रेष्ठ गो आश्रय स्थलों को चिन्हित कर उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल केवल गौ संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है। 

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