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यूपी डिफेंस कॉरिडोर बना निवेश का नया हब, इतने हजार करोड़ के उत्पादों का होगा निर्यात!

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दुनिया में बढ़ती सुरक्षा चिंताओं और देशों की आत्मनिर्भरता की होड़ ने वैश्विक रक्षा बाजार को तेजी से बदल दिया है। इस बदलाव का सीधा असर उत्तर प्रदेश के डिफेंस सेक्टर पर भी देखने को मिल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले चार वर्षों में केवल उत्तर प्रदेश से ही करीब 25 हजार करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादों का निर्यात किया जाएगा।

ड्रोन, युद्धपोत और तोपों का निर्माण, यूपी बन रहा रक्षा हब

राज्य सरकार द्वारा स्थापित किया गया यूपी डिफेंस कॉरिडोर अब निवेशकों और रक्षा कंपनियों के लिए वैश्विक आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। प्रदेश में अब ड्रोन, युद्धपोत, तोप और गोला-बारूद जैसे उन्नत रक्षा उपकरणों का निर्माण हो रहा है। दुनिया भर में पैदा हुई अस्थिरता और अमेरिका की टैरिफ नीति के चलते कई देश अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं।

क्या कहती है डिफेंस उद्यमियों की राय?

डिफेंस उत्पाद निर्माता कंपनी एमकेयू के चेयरमैन मनोज गुप्ता का कहना है कि यूपी डिफेंस कॉरिडोर के साथ-साथ एक्सप्रेसवे के किनारे रक्षा इकाइयों को जमीन दिए जाने का बड़ा फायदा होगा। इससे अगले एक साल में राज्य में रक्षा निर्माण क्षेत्र में 20 फीसदी की वृद्धि देखी जा सकती है। गुप्ता ने बताया कि अदाणी ग्रुप, ब्रह्मोस एयरोस्पेस, भारत डायनामिक्स लिमिटेड जैसी 50 से अधिक रक्षा कंपनियां उत्तर प्रदेश में निवेश कर चुकी हैं। इनमें से कई इकाइयों ने उत्पादन भी शुरू कर दिया है।

क्या भारत के पक्ष में है अमेरिकी नीति? 

डिफेंस उद्योग से जुड़े उद्यमी अविनाश सिंह का कहना है कि अमेरिका की टैरिफ नीति के चलते वहां के उत्पाद महंगे हो गए हैं, जबकि भारत में उत्पादन सस्ता होने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिल रही है। उन्होंने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की अनुकूल नीतियों से डिफेंस सेक्टर में अप्रत्याशित तेजी आई है।

यूपी को मिल सकता है बड़ा लाभ

यूरोपीय देशों में हथियारों की मांग में हो रही तेज़ी और वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों के बीच यूपी को एक डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित होने का मौका मिल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही रफ्तार बनी रही, तो यूपी भारत के रक्षा निर्यात में एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

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