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डिजिटल युग में सनातन की ओर लौटती युवा पीढ़ी, सोशल मीडिया पर वेद-पुराण की खोज में 300 गुना की हुई वृद्धि

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प्रयागराज में 45 दिन तक चले महाकुंभ 2025 ने युवाओं को सनातन परंपरा से जोड़ने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। इस महायोजना में 66.30 करोड़ श्रद्धालुओं ने भाग लिया, जिनमें करीब आधे 25 वर्ष या इससे कम उम्र के थे। खास बात यह रही कि सोशल मीडिया पर सनातन धर्म, वेद-पुराण और गीता से जुड़े विषयों की खोज 300 गुना तक बढ़ गई। यह इस बात का प्रमाण है कि नई पीढ़ी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों की ओर आकर्षित हो रही है।

महाकुंभ की ऐतिहासिक युवा भागीदारी

पिछले कुंभ मेलों की तुलना में इस बार की भागीदारी असाधारण रही। पहले कुंभ को धर्मपरायण अधेड़ और वृद्धों का संगम माना जाता था, लेकिन 2025 का महाकुंभ इस अवधारणा को बदलते हुए युवाओं का आयोजन बन गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में आयोजित डिजिटल महाकुंभ को युवाओं ने उत्साहपूर्वक अपनाया।

तकनीक और परंपरा का अनूठा संगम

एआई आधारित कुंभ सहायक ऐप, गूगल नेविगेशन और डिजिटल सुविधाओं ने युवाओं को इस भव्य आयोजन से जोड़ा। तकनीक और संस्कृति का यह अनोखा मिलन युवाओं को आध्यात्मिकता में रमाने में सफल रहा।

युवाओं की बढ़ती धार्मिक आस्था

इस बार कुंभ ने यह साबित कर दिया कि युवा पीढ़ी पारंपरिक धर्म और आधुनिक राष्ट्रवाद के संतुलन में विश्वास रखती है। डॉक्टर, इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, प्रबंधक, टीचर, प्रोफेसर, वैज्ञानिक, पत्रकार, खिलाड़ी, अभिनेता, उद्यमी और छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में इस आयोजन का हिस्सा बने।

सोशल मीडिया पर सनातन की धूम

इस महाकुंभ के दौरान 33 करोड़ से अधिक युवाओं ने अपने अनुभवों को गर्व से सोशल मीडिया पर साझा किया। डिजिटल क्रांति और आध्यात्मिकता का यह संगम केवल विचारों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि युवाओं ने इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाया।

आधुनिक व्यवस्थाओं ने बढ़ाया आकर्षण

कुंभ सहायक चैटबॉट, क्यूआर कोड आधारित जानकारियां, स्वच्छता व्यवस्था, गूगल मैप पर महाकुंभ नगरी की जानकारी, इंटरनेट के बेहतरीन सिग्नल, ऑनलाइन बुकिंग्स, फ्लाइट कनेक्टिविटी, रेल और सड़क नेटवर्क जैसी सुविधाओं ने इसे युवाओं के लिए और भी आकर्षक बना दिया।

विश्वभर में पहुंची संगम की पवित्रता

महाकुंभ में रामकथा, भागवत कथा और प्रवचनों में युवाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सत्संग और कीर्तन में करोड़ों युवाओं की भागीदारी इस बात का संकेत है कि आधुनिक पीढ़ी अपनी जड़ों की ओर लौट रही है। यही युवा अपने साथ संगम की मिट्टी और जल दुनिया भर में ले गए, जिससे सनातन संस्कृति का संदेश वैश्विक स्तर पर पहुंचा।

"महाकुंभ 2025: तकनीक और सनातन संस्कृति का संगम"

महाकुंभ 2025 ने यह साबित कर दिया कि युवा पीढ़ी केवल तकनीक और आधुनिकता तक सीमित नहीं है, बल्कि वह अपनी सनातन संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर से भी उतनी ही गहराई से जुड़ी हुई है। यह आयोजन रील लाइफ से रियल लाइफ में लौटते युवाओं की प्रेरणादायक कहानी बन चुका है।

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