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5.51 करोड़ रुद्राक्ष और 11 हजार त्रिशूलों से गूंजा शिव भक्ति का स्वर...शिवमय हुआ महाकुंभ

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संगम पर शिवभक्ति की अद्वितीय साधना प्रयागराज के संगम की पावन रेती इस बार भगवान शिव की भक्ति में डूबी हुई है। यहां योग सम्राट शिवयोगी बालयोगी बाल ब्रह्मचारी स्वामी अभय चैतन्य फलाहारी मौनी बाबा के नेतृत्व में शिव साधना का आयोजन हो रहा है। इस साधना का उद्देश्य भारत का उत्थान, बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा, खालिस्तानी आतंकियों का प्रभाव खत्म करना और गोरक्षा जैसी संकल्पनाओं को साकार करना है। पौष पूर्णिमा से आरंभ हुई यह साधना महाशिवरात्रि तक चलेगी।

5.51 करोड़ रुद्राक्ष से बने द्वादश ज्योतिर्लिंग-

नागवासुकि मंदिर के समीप सेक्टर-छह में स्वामी अभय चैतन्य फलाहारी मौनी बाबा के शिविर में 5.51 करोड़ रुद्राक्ष से द्वादश ज्योतिर्लिंग का स्वरूप रचा गया है। इस अद्वितीय शिवलिंग के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।

11 हजार त्रिशूल से सजा शिवमय शिविर-

 शिविर में 11 हजार त्रिशूल लगाए गए हैं, जो पूरे क्षेत्र को शिवमय बना रहे हैं। मौनी बाबा और उनके अनुयायी यहां भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र "ओम नमः शिवाय" का जप कर रहे हैं। महाशिवरात्रि तक सवा करोड़ दीपक जलाने और सवा करोड़ आहुतियां डालने का लक्ष्य रखा गया है।

45 किलो रुद्राक्ष धारण कर साधना में लीन-

मौनी बाबा शिव के परम भक्त हैं। उन्होंने अपने शरीर पर 45 किलो रुद्राक्ष की माला धारण की हुई है और 14 घंटे तक इसे धारण करते हैं। उनकी साधना का हर पल "ओम नमः शिवाय" के जप में व्यतीत होता है।

भक्ति, सेवा और आध्यात्मिकता का संगम-

मेहंदीपुर बालाजी सेवा शिविर में भक्ति, सेवा और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है। महंत डॉ. नरेश पुरी के सानिध्य में श्रद्धालुओं के लिए भंडारा, कंबल वितरण और जनकल्याण के लिए धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जा रहे हैं। प्रसिद्ध गायक चिंटू सेवक के भजनों ने श्रद्धालुओं को भक्ति रस में डुबो दिया।

भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का केंद्र-

एक महंत के अनुसार प्रयागराज भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का केंद्र है। यहां आकर भजन-पूजन करने से जीवन में पुण्य अर्जित होता है। मेहंदीपुर बालाजी की स्तुति से व्यक्ति अपना कल्याण कर सकता है और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए।

हनुमानजी के नाम का जप और जनकल्याण के अनुष्ठान-

भाजपा नेता के मुताबिक शिविर में हनुमानजी के नाम का जप चल रहा है। वैदिक ब्राह्मण जनकल्याण के लिए अनुष्ठान में लीन हैं। यह शिविर श्रद्धालुओं के लिए भक्ति, सेवा और आध्यात्मिकता का अद्वितीय अनुभव प्रदान कर रहा है।

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