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भारत की समुद्री रक्षा शक्ति को एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। भारतीय नौसेना के इतिहास में 18 जुलाई का दिन स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया जब देश में निर्मित पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल (DSV) INS Nistar को आधिकारिक रूप से नौसेना में शामिल कर लिया गया। यह समारोह विशाखापत्तनम के नेवल डॉकयार्ड में केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
आत्मनिर्भर भारत की नई मिसाल
INS निस्तार का निर्माण हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) द्वारा किया गया है, जिसे नौसेना को 8 जुलाई 2025 को सौंपा गया था। यह जहाज पूरी तरह भारतीय शिपिंग रजिस्टर के मानकों पर आधारित है और इसमें प्रयुक्त 80% से अधिक उपकरण स्वदेशी हैं। खास बात यह है कि इस प्रोजेक्ट में 120 से अधिक MSMEs ने भाग लिया, जो आत्मनिर्भर भारत अभियान की बड़ी सफलता मानी जा रही है। रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने इस मौके पर कहा, “INS निस्तार भारत की समुद्री शक्ति और रक्षा आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। अब हम न केवल आयातक हैं, बल्कि हथियारों के मामले में तेजी से निर्यातक बन रहे हैं। हमारा लक्ष्य 50,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात तक पहुंचना है।”
क्या है INS Nistar की ताकत?
‘निस्तार’ शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है बचाव या मुक्ति। INS निस्तार 118 मीटर लंबा और 10,000 टन वजनी है। यह जहाज गहरे समुद्र में 300 मीटर तक डाइविंग मिशन करने में सक्षम है। इसके जरिये संकटग्रस्त पनडुब्बियों की मरम्मत, बचाव कार्य और विशेष ऑपरेशन किए जा सकते हैं। यह विशेष रूप से DSRV (Deep Submergence Rescue Vehicle) को ऑपरेट करने के लिए एक ‘मदर शिप’ के तौर पर कार्य करता है, जिससे जरूरत पड़ने पर 1,000 मीटर गहराई तक बचाव कार्य संभव होता है।
नौसेना की क्षमताओं में ऐतिहासिक बढ़ोतरी
एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा, “INS निस्तार हमारी डाइविंग और सबमरीन रेस्क्यू क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह सिर्फ एक जहाज नहीं, बल्कि भारत की डिज़ाइन, निर्माण और तकनीकी क्षमताओं की जीत है।” उन्होंने यह भी कहा कि “पुराने जहाज कभी नहीं मरते, वे सिर्फ नए रूप में लौटते हैं।” बता दें, भारतीय नौसेना को वर्ष 1969 में पहला DSV सोवियत संघ से मिला था, जिसे दो दशक सेवा देने के बाद हटा लिया गया था। INS Nistar उसके आधुनिक, स्वदेशी और कहीं अधिक उन्नत संस्करण के रूप में लौटा है।
भारत अब सीमाओं से बाहर दिखा रहा ताकत
INS निस्तार का शामिल होना केवल एक जहाज की शुरुआत नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि भारत अब गहरे समुद्र में भी अपनी संप्रभुता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह तकनीक आज केवल कुछ गिने-चुने देशों के पास है, और भारत अब उनमें शामिल हो चुका है। INS Nistar भारतीय नौसेना की ताकत को समंदर की गहराई में भी अजेय बना रहा है। यह ना केवल रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, बल्कि समुद्र में आने वाली हर चुनौती के लिए ‘Made in India’ जवाब है।
Baten UP Ki Desk
Published : 18 July, 2025, 5:30 pm
Author Info : Baten UP Ki