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क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब देश के अगले उप-राष्ट्रपति बनने की ओर बढ़ रहे हैं? यह सवाल अचानक राजनीति की हवा में तैरने लगा है, जब मौजूदा उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की खबर सामने आई। हालाँकि, यह चर्चा बिहार में कोई नई नहीं है। 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही समय-समय पर यह अटकलें लगती रही हैं कि नीतीश कुमार का अगला राजनीतिक पड़ाव दिल्ली की कोई बड़ी संवैधानिक कुर्सी हो सकती है—कभी उप-प्रधानमंत्री, कभी राष्ट्रपति, और अब उप-राष्ट्रपति!
राजनीतिक गलियारों में फिर गर्म हुई चर्चा
जैसे ही धनखड़ के इस्तीफे की खबर आई, बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान सत्ता और विपक्ष दोनों खेमों में हलचल दिखने लगी। विपक्षी नेताओं का तर्क है कि यह भाजपा की वह रणनीति हो सकती है जिसके जरिए नीतीश कुमार को ‘सम्मानजनक विदाई’ देकर सत्ता से हटाया जाए। राजद विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने यहां तक कहा, "भाजपा लंबे समय से नीतीश को दिल्ली भेजने की कोशिश में रही है। यह कोई नया खेल नहीं है।" वहीं सत्ता पक्ष, खासकर भाजपा के नेता इस अटकल को नकारते नहीं हैं, पर स्पष्ट जवाब भी नहीं दे रहे। भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. प्रेम कुमार ने कहा, "फैसला केंद्र सरकार का होगा, लेकिन बिहार से कोई उप-राष्ट्रपति बनता है तो गर्व की बात है।"
संवैधानिक बाध्यता नहीं, लेकिन सियासी टाइमिंग अहम
संविधान विशेषज्ञों के अनुसार उप-राष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद तत्काल चुनाव की कोई बाध्यता नहीं है। लेकिन दूसरी ओर, बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है, और 90 दिनों के भीतर राज्य में नई सरकार बननी तय है। ऐसे में भाजपा भी यह खतरा नहीं उठाना चाहेगी कि नीतीश कुमार जैसे अनुभवी नेता को इस मोड़ पर राज्य से हटा दिया जाए—खासकर तब, जब एनडीए के भीतर भी सबकुछ सामान्य नहीं चल रहा।
जदयू-भाजपा के बीच हालिया तनातनी ने बढ़ाई अटकलें
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि एनडीए की हालिया बैठक में जदयू मंत्री अशोक चौधरी और भाजपा के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा के बीच भारी तकरार की खबरें आईं, हालांकि बाद में दोनों पक्षों ने इसे शांत करने की कोशिश की। अशोक चौधरी ने नीतीश कुमार की खुलकर तारीफ की, और फिर विजय सिन्हा ने भी सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री के नेतृत्व की सराहना की। इससे अटकलों को और बल मिला कि क्या भाजपा सच में नीतीश को "सम्मानजनक तरीके" से हटाने की तैयारी में है? या फिर यह अंदरूनी मतभेदों को साधने की रणनीति का हिस्सा है?
विश्लेषकों की राय: न ज़रूरी, न असंभव
चाणक्य इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिकल राइट्स एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा कहते हैं,"गठबंधन की राजनीति में वैचारिक मतभेद, टकराव और फिर संतुलन बनाना आम बात है। नीतीश कुमार का नाम भले चर्चा में हो, लेकिन अभी उप-राष्ट्रपति पद की रिक्ति को लेकर कोई संवैधानिक दबाव नहीं है। भाजपा जानती है कि बिहार जैसे राज्य में बिना नीतीश के चुनाव में उतरना कितना जोखिमभरा हो सकता है।"नीतीश कुमार के उप-राष्ट्रपति बनने की चर्चा फिर जोर पकड़ रही है, लेकिन इसके पीछे फिलहाल अटकलबाज़ी ज्यादा और ठोस संकेत कम हैं। हां, अगर भाजपा और जदयू के रिश्ते चुनाव के पहले और बिगड़ते हैं, तो यह "सम्मानजनक विदाई" का विकल्प एक बार फिर टेबल पर आ सकता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 22 July, 2025, 2:17 pm
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