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पैसिव स्मोकिंग से हर साल मर्डर से ज्यादा मौतें! जानिए कितने सुरक्षित हैं आपके फेफड़े

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हर साल दुनियाभर में करीब 12.5 लाख लोग हत्या के शिकार बनते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि पैसिव स्मोकिंग, यानी दूसरों द्वारा किए गए धूम्रपान का धुआं सांस के ज़रिए लेने से, इससे भी ज़्यादा यानी 13 लाख से अधिक मौतें होती हैं। आज वर्ल्ड एंटी टोबैको डे के मौके पर हम सिर्फ स्मोकिंग की नहीं, बल्कि उस छिपे हुए खतरे की बात करेंगे, जो हर नॉन-स्मोकर के आसपास मंडरा रहा है — पैसिव स्मोकिंग

पैसिव स्मोकिंग से खतरे क्यों बढ़े?

  • पैसिव स्मोकिंग का पहला वैज्ञानिक सबूत इंसानों से पहले कुत्तों पर मिला था।

  • 1962 में ब्रिटेन की रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन्स ने निकोटिन को स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बताया।

  • लेकिन पैसिव स्मोकिंग पर पहली रिपोर्ट आने में 1990 तक का समय लग गया।

इतने वर्षों तक सिगरेट उद्योग के दबाव में मीडिया और पब्लिक हेल्थ रिसर्च को दबाया जाता रहा।

तंबाकू के धुएं का शरीर पर असर

धुएं में मौजूद निकोटिन, टार, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे रसायन शरीर को तीन स्तरों पर नुकसान पहुंचाते हैं:

  1. फेफड़ों को संक्रमित करते हैं।

  2. ब्लड प्रेशर और हार्ट बीट अनियमित करते हैं।

  3. कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण बनते हैं।

इतिहास से सबक: जहांगीर ने लगाया था स्मोकिंग पर पहला बैन

मुगल बादशाह जहांगीर उन पहले शासकों में थे जिन्होंने भारत में धूम्रपान को सामाजिक खतरा मानते हुए इस पर प्रतिबंध लगाया था।

दुनिया ने कब कदम उठाए?

अमेरिका

  • 1992: EPA ने पैसिव स्मोकिंग पर पहली रिपोर्ट जारी की।

  • 1996: FDA ने सिगरेट को 'ड्रग' घोषित किया।

  • 2009: ओबामा सरकार ने 'फैमिली स्मोकिंग प्रिवेंशन एंड टोबैको कंट्रोल एक्ट' लागू किया।

नए नियम:

  • 21 साल से कम उम्र वालों को बिक्री पर रोक

  • स्कूलों व खेल मैदानों के पास बिक्री प्रतिबंध

  • सिगरेट ब्रांड्स की स्पॉन्सरशिप पर पाबंदी

भारत

  • 1975: ‘सिगरेट एक्ट’ लागू, वॉर्निंग अनिवार्य

  • 1990: सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध

  • 2003: COTPA कानून बना

  • 2005: WHO के फ्रेमवर्क को अपनाया गया

  • अब: सभी तंबाकू उत्पादों पर फोटोयुक्त चेतावनी जरूरी

भारत की स्थिति चिंताजनक

WHO के अनुसार, भारत तंबाकू उत्पादन और खपत दोनों में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।

  • देश की 30% वयस्क आबादी तंबाकू का सेवन करती है।

  • इनमें से 13 करोड़ लोग बीड़ी/सिगरेट पीते हैं।

बचाव ही सबसे बड़ा इलाज

धूम्रपान करने वाले न सिर्फ अपनी सेहत को, बल्कि अपने आसपास के लोगों की जान को भी खतरे में डालते हैं। अगर आप स्मोक नहीं करते हैं, तब भी सावधान रहें — क्योंकि पैसिव स्मोकिंग भी उतनी ही जानलेवा है।

➡️ आज ही किसी को स्मोकिंग छोड़ने के लिए प्रेरित करें।
➡️ अपने घर और ऑफिस को स्मोक-फ्री ज़ोन बनाएं।
➡️ और सबसे ज़रूरी – खुद को और अपने परिवार को पैसिव स्मोकिंग से बचाएं।

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