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देश में साइबर अपराध अब एक गहराता हुआ संकट बनता जा रहा है। पिछले चार वर्षों में भारत में 5.34 मिलियन (53.46 लाख) से अधिक साइबर क्राइम की घटनाएं दर्ज की गई हैं — यानी औसतन हर दिन 3,661 मामले। ये आंकड़े न केवल चौंकाने वाले हैं, बल्कि यह संकेत भी देते हैं कि डिजिटल युग में सुरक्षा की चुनौतियां कितनी तेजी से बढ़ रही हैं।
वर्ष दर वर्ष बढ़ोतरी: आंकड़े जो चौकाते हैं
2021: 4.52 लाख मामले
2022: 10.29 लाख मामले
2023: 15.96 लाख मामले
2024: 22.68 लाख मामले
इन आंकड़ों से साफ़ है कि साइबर अपराधों में हर साल तेज़ी से वृद्धि हो रही है, खासकर ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी, डेटा चोरी, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर हमले और फिशिंग स्कैम जैसे मामलों में।
I4C: साइबर अपराध पर केंद्र सरकार की 'डिजिटल ढाल'
इन खतरों से निपटने के लिए गृह मंत्रालय ने एक बड़ी पहल की है — I4C (Indian Cyber Crime Coordination Centre), जो देशभर में फैले साइबर अपराधों से समन्वित और तकनीकी रूप से मजबूत तरीके से निपटने के लिए स्थापित किया गया है।
I4C के तहत कई प्रभावी उपक्रम किए गए हैं:
राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in)
टोल फ्री हेल्पलाइन 1930, जो तत्काल सहायता के लिए है
17.82 लाख शिकायतों में ₹5,489 करोड़ की धनराशि की हेराफेरी रोकी गई
9.42 लाख सिम और 2.63 लाख IMEI ब्लॉक
33 राज्यों/UTs में साइबर फॉरेंसिक-सह-प्रशिक्षण लैब्स स्थापित
24,600 से अधिक कानून अधिकारियों को प्रशिक्षण
राज्य vs केंद्र: जिम्मेदारी किसकी?
गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने संसद में जानकारी दी कि 'पुलिस' और 'लोक व्यवस्था' भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य विषय हैं। ऐसे में राज्यों की जिम्मेदारी है कि वे साइबर अपराधों की रोकथाम, जांच और अभियोजन सुनिश्चित करें। हालांकि, केंद्र सरकार उन्हें तकनीकी, वित्तीय और कानूनी सहायता प्रदान कर रही है।
साइबर फोरेंसिक से लेकर गिरफ्तारी तक: कार्रवाई के आँकड़े
12,460 मामलों में साइबर फॉरेंसिक सहायता
10,599 आरोपी गिरफ्तार
63,019 जांच सहायता अनुरोध निपटाए गए
26,096 इंटर-स्टेट लिंक ट्रेस किए गए
प्रशिक्षण और जागरूकता: 'साइट्रेन' और 'थाना कनेक्ट' जैसी पहलें
I4C के तहत ‘CyTrain’, एक बड़ा ऑनलाइन कोर्स प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया गया है जो पुलिस अधिकारियों और न्यायिक अधिकारियों को साइबर कानून, जांच और फॉरेंसिक की गहन जानकारी देता है। साथ ही, 'राज्य कनेक्ट' और 'थाना कनेक्ट' जैसे प्लेटफॉर्म सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हैं।
'प्रतिबिंब' और 'सहयोग': अपराधियों की डिजिटल लोकेशन और हटाई जा रही गैरकानूनी सामग्री
'प्रतिबिंब' मॉड्यूल — अपराधियों और उनकी डिजिटल गतिविधियों को ट्रैक करता है
'सहयोग पोर्टल' — IT मध्यस्थों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से सहयोग के लिए तेज़ प्रक्रिया शुरू करता है
अब तक 72 IT इंटरमीडियरी, 35 VASP, और 9 केंद्रीय एजेंसियां इस पोर्टल से जुड़ी हैं
क्या कहता है यह ट्रेंड?
विशेषज्ञों के मुताबिक, इंटरनेट की पहुंच जितनी बढ़ी है, साइबर अपराधियों के लिए संभावनाएं भी उतनी ही खुल गई हैं। अब साइबर अपराध केवल मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं, बल्कि छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच चुके हैं।
जनता के लिएये हैं सुझाव:
संदिग्ध लिंक या कॉल से बचें
तुरंत https://cybercrime.gov.in या 1930 पर रिपोर्ट करें
वित्तीय लेन-देन में सतर्कता बरतें
दो-स्तरीय प्रमाणीकरण (2FA) अपनाएं
नियमित पासवर्ड बदलें और निजी जानकारी साझा करने से बचें
भारत सरकार साइबर अपराध के खिलाफ डिजिटल युद्ध के मोर्चे पर है। लेकिन तकनीक के इस युद्ध में जीत तभी संभव है जब नागरिक भी सतर्क रहें और जागरूकता को हथियार बनाएं।
Baten UP Ki Desk
Published : 29 July, 2025, 1:34 pm
Author Info : Baten UP Ki