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अमेरिका, UK समेत इन देशों में जाएंगे 30 से ज्यादा भारतीय सांसद, दुनिया के सामने करेंगे पाकिस्तान को बेनकाब!

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भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ किए गए ऑपरेशन सिंदूर को वैश्विक मंच पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए एक बहुपक्षीय कूटनीतिक अभियान शुरू किया है। इसके तहत विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों को पांच देशों—अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (UAE)में भेजा जाएगा। यह दौरा 22 या 23 मई से शुरू होकर करीब 10 दिनों तक चलेगा। विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा समन्वित इस दौरे का उद्देश्य आतंकी हमलों और ऑपरेशन सिंदूर के पीछे भारत की सैन्य और रणनीतिक सोच को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष स्पष्ट रूप से रखना है।

कौन-कौन नेता हो सकते हैं शामिल?

सूत्रों के अनुसार, प्रतिनिधिमंडल में 30 से अधिक सांसद शामिल हो सकते हैं। इनमें भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, जदयू, डीएमके, NCP (शरद पवार गुट), बीजद और CPI(M) के सांसद शामिल होने की संभावना है। भाजपा की ओर से अनुराग ठाकुर और अपराजिता सारंगी, कांग्रेस से शशि थरूर, मनीष तिवारी, सलमान खुर्शीद और अमर सिंह, NCP(SP) से सुप्रिया सुले, और AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता संभावित नामों में शामिल हैं।

क्या होगी यात्रा की रूपरेखा?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 5-6 सांसदों के 8 अलग-अलग समूह बनाए जाएंगे। हर ग्रुप के साथ MEA का एक अधिकारी और एक सरकारी प्रतिनिधि भी शामिल रहेगा। सांसदों को विदेश मंत्रालय द्वारा निर्देश दिया गया है कि वे पासपोर्ट और यात्रा दस्तावेजों को तैयार रखेंसंसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू इस पूरे दौरे का समन्वय कर रहे हैं।

ऑपरेशन सिंदूर: कूटनीतिक और सैन्य जवाब

भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को बिना सीमा पार किए नष्ट कर दिया था। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 पर्यटक मारे गए थे, के जवाब में की गई थी। ऑपरेशन के दौरान भारत ने S-400, बराक-8, आकाशतीर, पिकोरा, OSA-AK और LLAD गन जैसे आधुनिक रक्षा प्रणालियों का उपयोग करते हुए पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाइयों को भी बेअसर कर दिया।

कब-कब लिया गया विपक्षी नेताओं को साथ?

यह पहला मौका नहीं है जब भारत सरकार ने विपक्षी नेताओं को कूटनीतिक मोर्चे पर साथ लिया हो।

  • 1994 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय डेलिगेशन को UNHRC, जिनेवा भेजा था। वहां कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के आरोपों को मजबूती से खारिज किया गया।

  • 2008 में, मुंबई हमलों के बाद मनमोहन सिंह सरकार ने भी विभिन्न दलों के नेताओं को विदेश भेजा था, ताकि पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क को बेनकाब किया जा सके। इसी के बाद पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा और FATF ने उसे ग्रे-लिस्ट में डाला।

भारत का बहुपक्षीय कूटनीतिक अभियान

भारत का यह कदम केवल आतंकी गतिविधियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूती देगा, बल्कि पाकिस्तान की भूमिका को भी उजागर करेगा। ऑपरेशन सिंदूर के बाद शुरू हुआ यह कूटनीतिक अभियान भारत की विदेश नीति में बहुपक्षीय समन्वय और पारदर्शिता की मिसाल बनेगा।

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