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'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स' को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में मिल सकती है जगह!

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भारत के ऐतिहासिक सैन्य वैभव की अनमोल निशानी 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स' को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 6 से 16 जुलाई तक पेरिस में आयोजित हो रहे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी के 47वें सत्र में इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। इस बार दुनियाभर से कुल 32 नए स्थलों को नामित किया गया है, जिनमें भारत का यह एकमात्र नामांकन शामिल है।

क्या है 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स'?

इस नामांकन के अंतर्गत भारत ने 17वीं से 19वीं शताब्दी में विकसित किए गए 12 किलों और किलेबंद क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया है, जो मराठा साम्राज्य की सैन्य रणनीति, वास्तुकला और जुझारूपन का अद्वितीय प्रतीक हैं। इन किलों में समुद्री, पहाड़ी और मैदानी भूभागों का अद्भुत सामंजस्य देखने को मिलता है — जो उस समय की सैन्य सोच और भू-रणनीतिक समझ को दर्शाता है।

कौन-कौन से किले हैं नामांकन में?

इस सूची में शामिल प्रमुख किलों में महाराष्ट्र के शिवनेरी, रायगढ़, राजगढ़, लोहगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, सिंधुदुर्ग, विजयदुर्ग, खांदेरी, पन्हाला, साल्हेर और तमिलनाडु का जिन्जी किला शामिल हैं। ये किले न केवल स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव माने जाने वाले मराठा आंदोलन का गौरवशाली इतिहास भी समेटे हुए हैं।

क्या है नामांकन प्रक्रिया?

यूनेस्को के ऑपरेशनल गाइडलाइंस 2023 के अनुसार, प्रत्येक देश एक वर्ष में केवल एक नामांकन ही प्रस्तुत कर सकता है। इस वर्ष भारत ने ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ को चुना है। 11 से 13 जुलाई के बीच इन नामित स्थलों की समीक्षा की जा रही है। समिति की सिफारिश के बाद इन स्थलों को ‘वर्ल्ड हेरिटेज साइट’ का दर्जा मिल सकता है।

क्यों अहम है यह नामांकन?

अगर यह नामांकन मंजूर हो जाता है, तो यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मान्यता होगी। इससे इन स्थलों को वैश्विक संरक्षण, तकनीकी सहयोग और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन का लाभ मिलेगा। साथ ही स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार और आर्थिक अवसरों के नए द्वार भी खुल सकते हैं।

अन्य देशों के नामांकन

भारत के साथ इस सत्र में कैमरून, मलावी, यूएई, स्पेन, इटली जैसे देशों के भी सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थलों पर चर्चा हो रही है। यह समीक्षा प्रक्रिया यूनेस्को के विशेषज्ञों, इतिहासकारों और संरक्षण विशेषज्ञों द्वारा की जा रही है।

भारत की ओर से ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ का नामांकन केवल धरोहर की सूची में एक और नाम जोड़ने भर का प्रयास नहीं है, यह उस गौरवशाली अतीत की पहचान दिलाने की कोशिश है, जिसने भारत की संस्कृति, रक्षा और स्वराज की सोच को आकार दिया। यदि यह नामांकन स्वीकृत होता है, तो यह न केवल मराठा इतिहास के लिए, बल्कि सम्पूर्ण भारतवर्ष के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण होगा।

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