बड़ी खबरें

जैमी स्मिथ बने सबसे तेज 1000 टेस्ट रन बनाने वाले विकेटकीपर 17 घंटे पहले जापान ने 10.20 लाख Gbps इंटरनेट स्पीड का वर्ल्ड-रिकॉर्ड बनाया 17 घंटे पहले दिल्ली-NCR में फिर से भूकम्प, 3.7 तीव्रता: दो दिन में दूसरी बार झटके महसूस हुए 15 घंटे पहले

क्या असंभव हो गया है क्लाइमेट संकट का हल ? इस रिपोर्ट में आए चौंकाने वाले आंकड़े!

Blog Image

स्वच्छ ऊर्जा में अभूतपूर्व प्रगति के बावजूद 2024 में वैश्विक कार्बन उत्सर्जन एक बार फिर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। एनर्जी इंस्टीट्यूट द्वारा जारी 2025 स्टैटिस्टिकल रिव्यू ऑफ वर्ल्ड एनर्जी रिपोर्ट के अनुसार यह लगातार चौथा साल है जब दुनिया के ऊर्जा क्षेत्र से उत्सर्जन में वृद्धि दर्ज की गई। रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में उत्सर्जन में 1% की बढ़ोतरी हुई, जबकि वैश्विक ऊर्जा मांग 2% बढ़कर 592 एक्साजूल पर पहुंच गई — जो अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है।

सौर और पवन ऊर्जा में ज़बरदस्त उछाल

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अक्षय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर और पवन क्षेत्रों में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है। 2024 में इसमें 16% की बढ़त देखी गई, जो कुल ऊर्जा मांग की गति से नौ गुना तेज है। वैश्विक सौर ऊर्जा उत्पादन बीते दो वर्षों में लगभग दोगुना हो गया है। इसमें चीन की भागीदारी सबसे अधिक (57%) रही।

जीवाश्म ईंधनों का वर्चस्व कायम

हालांकि, यह स्वच्छ ऊर्जा वृद्धि कुल ऊर्जा मांग की तुलना में नाकाफी साबित हुई। जीवाश्म ईंधनों — कोयला, तेल और गैस — का उपयोग 2024 में 1% और बढ़ा। भारत में कोयले की मांग में 4% की वृद्धि हुई, जिससे वह अकेले अमेरिका, यूरोप और दक्षिण अमेरिका की संयुक्त मांग के बराबर पहुंच गया है। चीन में तेल की मांग में मामूली गिरावट (1.2%) जरूर दर्ज की गई, लेकिन वैश्विक स्तर पर यह गिरावट उत्सर्जन में कोई बड़ा बदलाव लाने में असफल रही।

बिजली की खपत में 4% की छलांग

2024 में वैश्विक बिजली की मांग में 4% की वृद्धि हुई। यह इशारा करता है कि हम ऊर्जा की नई क्रांति के दौर में प्रवेश कर चुके हैं, लेकिन यह बदलाव संतुलित नहीं है। पारंपरिक और स्वच्छ — दोनों तरह की ऊर्जा में साथ-साथ वृद्धि हो रही है, जिससे नेट ज़ीरो जैसे लक्ष्य मुश्किल होते जा रहे हैं।

ऊर्जा बदलाव असमान और अव्यवस्थित

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह बदलाव वैश्विक स्तर पर असंगठित और असमान है। यूरोप में आपूर्ति शृंखला की लागत और ब्याज दरों में वृद्धि ने अक्षय ऊर्जा प्रगति को धीमा किया है, जबकि चीन और भारत जैसे देशों में औद्योगिक विकास की तेज़ रफ्तार जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को बढ़ावा दे रही है।

एनर्जी इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष एंडी ब्राउन ने कहा,

“दुनिया की ऊर्जा जरूरतें इतनी तेजी से बढ़ रही हैं कि 60% नई मांग अब भी जीवाश्म ईंधनों से पूरी हो रही है। जब तक इस मांग का टिकाऊ समाधान नहीं निकाला जाएगा, उत्सर्जन को नियंत्रित करना एक चुनौती बना रहेगा।”

COP28 के लक्ष्य खतरे में

KPMG यूके की ऊर्जा रणनीति प्रमुख वफा जाफरी ने भी चेतावनी दी कि COP28 में तय किया गया था कि 2030 तक वैश्विक अक्षय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना किया जाएगा। लेकिन मौजूदा रुझानों के अनुसार ब्याज दरों और लागतों में बढ़ोतरी इस लक्ष्य को चुनौतीपूर्ण बना रही है।

ऊर्जा लक्ष्य बनाम ज़मीनी हकीकत

2024 की यह रिपोर्ट बताती है कि स्वच्छ ऊर्जा की गति सराहनीय होने के बावजूद वैश्विक उत्सर्जन में बढ़ोतरी जारी है। जब तक नीतिगत, आर्थिक और तकनीकी मोर्चों पर समन्वित प्रयास नहीं होंगे, तब तक दुनिया ऊर्जा संक्रमण (Energy Transition) के लक्ष्य को केवल कागजों पर ही साकार कर पाएगी।

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें