बड़ी खबरें
कैंसर अब केवल बुजुर्गों की बीमारी नहीं रहा—एक ताजा वैश्विक अध्ययन में इस धारणा को पूरी तरह खारिज कर दिया गया है। नेचर जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, भारत समेत कई एशियाई देशों में 2008 से 2017 के बीच जन्मे बच्चों में पेट के कैंसर (गैस्ट्रिक कैंसर) का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। यह शोध न केवल चिकित्सा विशेषज्ञों को, बल्कि स्वास्थ्य नीति निर्माताओं को भी अलर्ट कर गया है।
भारत में 16 लाख से अधिक बच्चों पर खतरा
अध्ययन में बताया गया है कि अकेले भारत में 16.57 लाख बच्चों के जीवनकाल में पेट का कैंसर विकसित हो सकता है। वहीं वैश्विक स्तर पर यह संख्या 1.56 करोड़ से अधिक हो सकती है। इनमें से अधिकांश मामले एशिया में सामने आ सकते हैं। सबसे गंभीर बात यह है कि इन मामलों में से लगभग 76% का कारण एक खतरनाक बैक्टीरिया — हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori) को माना जा रहा है, जो बच्चों में कम उम्र में ही संक्रमित कर सकता है।
एच. पाइलोरी: अदृश्य लेकिन घातक संक्रमण
एच. पाइलोरी एक ऐसा बैक्टीरियल संक्रमण है, जो गंदे पानी, खराब स्वच्छता और भीड़भाड़ वाले रहन-सहन से फैलता है। इसका संक्रमण लंबे समय तक शरीर में बना रह सकता है और समय के साथ कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को जन्म दे सकता है। हालांकि राहत की बात यह है कि यह संक्रमण उपचार योग्य है — बशर्ते कि इसकी समय पर जांच और इलाज हो।
पेट के कैंसर को गंभीरता से क्यों नहीं लिया जाता?
पेट का कैंसर अक्सर लक्षणहीन या सामान्य गैस्ट्रिक समस्याओं जैसा महसूस होता है — जैसे पेट फूलना, भूख न लगना, वजन घटना, अपच या पेट दर्द। यही वजह है कि इसकी पहचान देर से होती है, जब तक यह गंभीर अवस्था में पहुंच चुका होता है। यही कारण है कि पेट का कैंसर वैश्विक रूप से कैंसर से होने वाली मौतों में पांचवें स्थान पर है।
डब्ल्यूएचओ की चेतावनी: स्वास्थ्य आपदा का संकेत
यह अध्ययन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की इकाई, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) द्वारा तैयार किया गया है। ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी और संयुक्त राष्ट्र के जनसांख्यिकीय डेटा के आधार पर वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि यदि स्थिति नहीं बदली, तो भारत और चीन मिलाकर 65 लाख से अधिक पेट कैंसर के संभावित मामलों का बोझ झेल सकते हैं।
बचाव ही बेहतर इलाज है: ये कदम उठाना जरूरी
विशेषज्ञों का कहना है कि पेट के कैंसर के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए निम्नलिखित उपायों को तुरंत अपनाना चाहिए:
एच. पाइलोरी की स्क्रीनिंग को प्राथमिक स्वास्थ्य जांच में शामिल करना
साफ-सफाई और स्वच्छ पेयजल के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान
प्रारंभिक लक्षणों की पहचान के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करना
सरकारी निवेश को प्राथमिकता देते हुए, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना
स्वास्थ्य संकट की ओर बढ़ता भारत?
कम उम्र में कैंसर का खतरा अब कोई दुर्लभ या असामान्य घटना नहीं रह गया है। यदि समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए गए, तो भारत जैसे विकासशील देशों को आने वाले वर्षों में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ सकता है। अब समय आ गया है कि सरकार, स्वास्थ्य विभाग और आम लोग—तीनों मिलकर सतर्कता और जागरूकता की जिम्मेदारी लें, ताकि बच्चों की भावी पीढ़ी को इस गंभीर खतरे से बचाया जा सके।
Baten UP Ki Desk
Published : 10 July, 2025, 4:00 pm
Author Info : Baten UP Ki